Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्रियों को खाली करना पड़ सकता है बंगला! क्या है बंगला पॉलिटिक्स की पूरी कहानी?
Kumari Selja News: छत्तीसगढ़ में बंगला पॉलिटिक्स ने तुल पकड़ लिया है. बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस जब भी संकट में पड़ती है. बदले की राजनीति करती है.
Chhattisgarh Congress Latest News: कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी को अब सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है. क्योंकि लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद बंगला खाली करने का नोटिस मिला है. इससे कांग्रेस नाराज है और इसका सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में देखन को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ में बंगला पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. कांग्रेस बीजेपी के पूर्व मंत्रियों को आवंटित सरकार बंगले का रिव्यू करने जा रही है.
दरअसल इसके लिए बुधवार को छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने रायपुर में बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भेदभाव नहीं किया है, लेकिन जिस तरीके से केंद्र सरकार काम कर रही है. हमारी सरकार भी छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्रियों को आवंटित बंगलों की समीक्षा करेगी. जब हमारे नेताओं के बंगले खाली कराए जा रहे हैं तो हम भी समीक्षा करेगें. इसके बाद छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है.
छत्तीसगढ़ में बंगला पॉलिटिक्स ने तुल पकड़ लिया है. बृजमोहन अग्रवाल ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस जब भी संकट में पड़ती है, बदले की राजनीति करती है. बीजेपी के जिन नेताओं के पास बंगले हैं वो एलिजिबल हैं. वैसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार जो भी करना करें उनको कौन रोक रहा है.
बता दें कि बृजमोहन अग्रवाल रायपुर के शंकर में स्थित सरकारी बंगले में पिछले 21 साल से रह रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी के पूर्व मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय भी रायपुर के शंकर नगर सरकारी बंगले में रहते हैं. 2018 में प्रेम प्रकाश पांडेय विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद भी उन्होंने रायपुर में मिले सरकारी बंगले को खाली नहीं किया है.
बंगले खाली करवाने की राजनीति तेज होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले से किनारे कर लिया है. उन्होंने बुधवार को दिल्ली से लौटने के बाद कहा कि हम बदले की राजनीति नहीं करते हैं.
उन्होंने राहुल गांधी पर हुई कार्यवाही को लेकर कहा कि अमृत काल चल रहा है लोकतंत्र के 75 वें स्थापना दिवस पर लेकिन लोकतंत्र ही खतरे में है. तमाम एजेंसियों को डरा धमका कर विरोधियों को कुचलने की कोशिश की जा रही है. जो भी अडानी के बारे में सवाल पूछे तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती उनको सजा दी जाती है.
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