Dangahi Holi In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ अपनी अनोखी संस्कृति और परंपरा के लिए देशभर में मशहूर है. यहां सरगुजा जिले के मैनपाट में माझी मझवार जनजाति के लोग शादी में कीचड़ से नहाकर लोटते हुए बारातियों का स्वागत करते हैं. इस अनोखी परंपरा ने पूरे छत्तीसगढ़ में सुर्खियां बटोरी है. इसके अलावा जांजगीर-चांपा जिले में भी इसी तरह के एक परंपरा को जीवित रखा गया है. जांजगीर-चांपा जिले के पंतोरा गांव में राधा के गांव बरसाने की तर्ज पर लट्ठमार होली का आयोजन आदिकाल से चला आ रहा है. इसे स्थानीय भाषा मे डंगाही होली कहा जाता है.
डंगाही होली के दिन लोगों पर कुंवारी कन्याएं मंदिर में अभिमंत्रित बांस की छड़ियां बरसाती है, लोग भी छड़ियां खाने ललायित रहते हैं, लोगों में आस्था है कि छड़ी खाने से बीमारियां दूर होती है. इसलिए इस पर्व का पंतोरा में विशेष महत्व है. त्यौहार के महत्व और आस्था का लोग विशेष सम्मान भी करते हैं.
दरअसल, जिले में बलौदा ब्लाक के पंतोरा गांव में विराजित मां भवानी मंदिर परिसर में रंग पंचमी के दिन हर साल पंतोरा के लोग जुटते हैं. मड़वारानी के जंगल से बांस की छड़ी मंगाई जाती है. पूजा-अर्चना के पश्चात मां भवानी को बांस की छड़ी समर्पित की जाती है. यह कामना की जाती है कि उनके गांव में कोई बीमारी ना फैले.
भवानी मंदिर में माता की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं द्वारा माता को 5 बार बांस की छड़ी स्पर्श कराई जाती है. जिसके बाद मंदिर परिसर के देवी-देवताओं पर भी कुंवारी कन्याएं बांस की छड़ी बरसाती हैं. पंतोरा के लोगों में मान्यता है कि बस्ती बसने के दौरान गांव में महामारी फैल गई थी. इस दौरान बुजुर्गों के द्वारा मां भवानी की पूजा-अर्चना शुरू की गई और मड़वारानी जंगल से बांस की छड़ी लाकर माता को समर्पित की गई. जिसके बाद हालात काबू हुआ.
इस तरह परंपरा ने विस्तार ले लिया और फिर गांव के लोग जुड़ते गए. छत्तीसगढ़ में होली पर्व के पांचवें दिन ‘रंग पंचमी’ मनाई जाती है. इसी दिन पंतोरा में हर साल ‘लट्ठमार होली’मनाई जाती है. राधा के गांव बारसाने की तर्ज पर पंतोरा में भी ‘लट्ठमार होली’ की परंपरा कई दशक से जारी है. जो पंतोरा के लोगों की आस्था का प्रतीक बन गई है और अब यह गांव के दायरे को तोड़कर प्रदेशस्तर पर अपनी पहचान बना चुका है.