Surajpur News: जंगल में एक साथ दो तेंदुए की मौजूदगी ने गुरूघासी दास राष्ट्रीय उद्यान से सटे सूरजपुर जिले के चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के ग्रामीणों को थर्रा दिया है. तेंदुए अलग-अलग क्षेत्रों में पालतू मवेशियों का शिकार कर रहे हैं. पिछले दो महीने के भीतर गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही आसपास के अभ्यारण्य एवं अन्य जंगलों में हिसंक वन्य जीवों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. घने जंगल वाले कुछ इलाकों में पूर्व में भी तेंदुए के धमक की सूचना मिलते रहती है लेकिन पिछले दो महीनों से अलग-अलग जंगल में तेंदुए के मौजूदगी की सूचना से ग्रामीण काफी भयभीत हैं.
जानकारों का कहना है कि गुरूघासी दास राष्ट्रीय उद्यान में सालभर तेंदुए मौजूद रहते हैं. पिछले दो महीनों के भीतर उद्यान क्षेत्र में तेंदुए सहित अन्य हिंसक जीवों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. गर्मी के मौसम में छोटे जल स्रोतों के सूखने के कारण चारागाह का क्षेत्र सिमट गया है.
उद्यान के विभिन्न क्षेत्रों में चारा में कमी आने के कारण शाकाहारी वन्य जीवों ने अपनी जगह बदल दी है. ऐसे में हिंसक वन्य जीवों को आवश्यकता के अनुरूप शिकार नहीं मिल रहा है तथा परेशान होकर हिंसक वन्य जीव पानी व शिकार की तलाश में आबादी क्षेत्र के निकटवर्ती जंगलों में पहुंच रहे हैं.
उद्यान के सीमावर्ती रिहंद रेंज में पिछले एक साल से तीन तेंदुए के मौजूद होने की सूचना थी. रिहंद रेंज में अभी कितने तेंदुए हैं इसकी जानकारी स्थानीय अधिकारियों को नहीं है. वन अधिकारियों का कहना है कि तेंदुए अपनी आवश्यकता के अनुसार जगह बदलते रहते हैं. लम्बे समय तक बाघ की मौजूदगी से खौफ में जीवन-यापन कर रहे ग्रामीणों को तेंदुए की मौजूदगी ने फिर से र्थरा दिया है.
चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के गढ़वतिया जंगल में पिछले एक महीने से तेंदुआ के मौजूद होने की सूचना मिलती थी. तेंदुआ यदा-कदा ही पालतू पशुओं का शिकार करता था. पिछले कुछ दिनों से ग्रामीण जंगल में एक अन्य तेंदुआ के पहुंचने की बात से भयभीत हो गए हैं तथा जंगल की ओर जाने से कतरा रहे हैं.
चार मवेशियों का शिकार
तेंदुआ एक महीने के भीतर चार मवेशियों का शिकार कर चुका है. दो दिन पूर्व तेंदुआ ने अलग-अलग क्षेत्रों में दो मवेशियों को अपना शिकार बनाया. एक ही दिन अलग-अलग क्षेत्र में मवेशियों का शिकार करने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के जंगलों में दो तेंदुए मौजूद होने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. मंगलवार की रात्रि तेंदुआ ने ग्राम महुली मे एक पालतू गाय का शिकार किया था.
वहीं शाम 4 बजे रसौकी जंगल में भी एक मवेशी को शिकार बनाया था. दोनों गांवों की दूसरी 50 किमी से अधिक होने के कारण ग्रामीण जंगल में दो तेंदुए मौजूद होने की बात कह रहे है.
पूर्व में तेंदुआ बीच-बीच में आता था और कुछ दिन क्षेत्र के जंगलों में गुजारने के बाद वापस उद्यान में लौट जाता था. ऐसा पहली बार है जब एक महीने से गढ़वतिया जंगल में तेंदुआ मौजूद हैं. इस संबंध में गुरूघासी दास राष्ट्रीय उद्यान के सहायक संचालक एसएस सिंहदेव ने बताया कि उद्यान क्षेत्र के नालों का जल स्तर कम होने के कारण शाकाहारी वन्य जीव चारा-पानी की तलाश में दूसरे क्षेत्र की ओर जा रहे हैं. हिंसक वन्य जीव भी शिकार की खोज में जगह बदल रहे हैं.
जंगल जाने से कतरा रहे ग्रामीण
बाघ के बाद तेंदुए की मौजूदगी से अब ग्रामीण जंगल की ओर जाने से कतरा रहे हैं. अभी जंगल पर ग्रामीणों की निर्भरता बढ़ गई है. रोजी-रोजगार का मामला हो या फिर भरण-पोषण, पशुओं को चराने व इंधन की व्यवस्था का, ग्रामीण सभी जरूरतों के लिए जंगल पर ही निर्भर है. महुआ का सीजन होने के कारण सुबह होते ही ग्रामीण जंगल में पहुंच जाते हैं. जो खतरनाक साबित हो सकता है. जंगल में तेंदुए की मौजूदगी को देखते हुए वन अमला प्रभावित गांवो में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को सावधानी बरतने एवं सुबह-शाम जंगल की ओर नहीं जाने की सलाह दे रहा है.
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