Padma Award 2023: लकड़ियों की कलाकारी से संवारी 400 कैदियो की जिंदगी, पद्मश्री सम्मान पाने वाले अजय कुमार मंडावी की कहानी
छत्तीसगढ़ के अजय कुमार मंडावी को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.मंडावी ने कांकेर केंद्रीय जेल के कैदियोॆ को काष्ठ कला का हुनर सिखाकर उनकी जिंदगी बदल दी है.400 से ज्यादा बंदी इस रोजगार से जुड़े हैं.
![Padma Award 2023: लकड़ियों की कलाकारी से संवारी 400 कैदियो की जिंदगी, पद्मश्री सम्मान पाने वाले अजय कुमार मंडावी की कहानी Lives of 400 prisoners upgraded with wooden artwork, know story of Ajay Kumar Mandavi being honored with Padma Shri ann Padma Award 2023: लकड़ियों की कलाकारी से संवारी 400 कैदियो की जिंदगी, पद्मश्री सम्मान पाने वाले अजय कुमार मंडावी की कहानी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/01/27/800b77c36c061428ae78e2d35c82965f1674814308515648_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Kanker News: अपनी काष्ठ कला के हुनर से कांकेर जेल में सजा काट रहे 400 से अधिक कैदियों की जिंदगी संवारने वाले अजय कुमार मंडावी (Ajay Kumar Mandavi) को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा, दरअसल अजय कुमार मंडावी ने कांकेर केंद्रीय जेल (Kanker Central Jail) में बंद 400 से अधिक कैदियों को कई सालों तक जेल में काष्ठ कला का प्रशिक्षण दिया, जिसके बाद ये विचाराधीन बंदियों की रिहाई के बाद अब ये बंदी इस काष्ठ कला के हुनर से हंसी-खुशी अपने परिवार का पालन- पोषण कर रहे हैं, खास बात यह है कि इन कैदियों में नक्सल विचाराधीन बंदी भी शामिल हैं जो रिहाई के बाद अब समाज के बीच काष्ठ कला की हुनर से अच्छी जिंदगी जी रहे हैं, यही वजह है कि 400 से अधिक कैदियों की जिंदगी संवारने वाले अजय कुमार मंडावी को पद्मश्री से नवाजा जा रहा है.
रिहा होने के बाद कैदियों की बदली जिंदगी
छत्तीसगढ़ से इस बार 3 लोगों को पद्मश्री का पुरस्कार दिया जा रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के कांकेर के रहने वाले अजय कुमार मंडावी भी शामिल हैं, जिन्हें कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्मश्री के लिए चुना गया है. मंडावी ने बताया कि 2005 से काष्ठ कला के क्षेत्र में वे कार्य करते आ रहे हैं, 2010 में कांकेर के तत्कालीन कलेक्टर एन.के खाखा ने उन्हें जेल में बंद कैदियों को काष्ठ कला सिखाने का निवेदन किया था, जिसके बाद से अजय मंडावी कैदियों को काष्ठ कला सिखाते आए हैं. अजय मंडावी ने जिन कैदियों को काष्ठ कला सिखाई, उसमें ज्यादातर नक्सल मामलों में बंद विचाराधीन कैदी थे, लगभग 200 ऐसे नक्सली बंदी जो कि कभी हाथ में बंदूक लेकर खून की होली खेला करते थे, वे अब अजय मंडावी के सिखाए गए काष्ठ कला से अपने हाथ के हुनर से अपने परिवार के साथ जिंदगी हंसी-खुशी बिता रहे हैं.
आज भी कैदी रहते हैं संपर्क में, कई नहीं गए घर
अजय मंडावी बताते हैं कि वह बचपन में खिलौने बनाने की कोशिश करते थे और उन्हें इस कला ने काष्ठ कला सिखा दी और उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वो इस काबिल बन गए कि दूसरों को भी काष्ठ कला सिखाने लग गए.,उन्होंने बताया कि जिन बंदियों को उन्होंने काष्ठ कला सिखाई वे सभी आज काष्ठ कला के हुनर से अपना जीवन हंसी खुशी जी रहे हैं, आज भी कैदी उनके संपर्क में रहते हैं, और कुछ ऐसे भी कैदी हैं जो घर जाना नही चाहते और रिहा होने के बाद उनके साथ रह कर उनकी इस कला में हाथ बटाते हैं, जिसके लिए उन्हें बकायदा मजदूरी भी दी जाती है.
परिवार और मित्रों को दिया श्रेय
पद्मश्री सम्मान मिलने को लेकर उन्होंने इसका श्रय अपने परिवार और मित्रों को दिया है, उनका कहना है कि हर समय उनके परिवार और मित्रों ने उनका सहयोग किया है और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की, तभी यह मुकाम आज उन्हें हासिल हुआ है और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है. इस सम्मान पाने की खबर से अजय कुमार मंडावी के परिवार वाले, उनसे प्रशिक्षण लेने वाले सभी कैदी, उनके मित्र और कांकेर जिले के साथ-साथ छत्तीसगढ़ वासियों में बहुत खुशी है.
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