लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के इस जिले का बढ़ा राजनीतिक महत्व? एक्सपर्ट्स ने बताई वजह
Durg Lok Sabha Seat: वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद, भिलाई शहर इंजीनियरिंग, मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं, तकनीकी संस्थानों और कोचिंग सेंटर का हब बन गया. अब एक बार फिर दुर्ग की चर्चा हो रही है.
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Chhattisgarh Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ के आर्थिक एवं शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला दुर्ग (Durg) जिला राजनीतिक आकर्षण का केंद्र बन गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के चार उम्मीदवार और बीजेपी के दो उम्मीदवार दुर्ग जिले से हैं. लोकसभा चुनाव से पहले उम्मीदवारों की घोषणा के बाद दुर्ग जिला चर्चित हो गया है. दुर्ग जिला 1906 में रायपुर से अलग होकर बना था. सन् 1973 में जिले का विभाजन हुआ और एक अलग राजनांदगांव जिला अस्तित्व में आया.
राजनीतिक आकर्षण का केंद्र बना दुर्ग
वर्ष 2012 में दुर्ग को फिर से विभाजित किया गया और दो नए जिले - बेमेतरा और बालोद - बनाये गये. वर्ष 1955 में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की एक प्रमुख इकाई, भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) की स्थापना के साथ, दुर्ग का तेजी से विकास हुआ और आर्थिक गतिविधि का केंद्र बन गया. दुर्ग ने पूरे देश से लोगों को आकर्षित किया. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद, भिलाई शहर इंजीनियरिंग, मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं, तकनीकी संस्थानों और कोचिंग सेंटर का हब बन गया.
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा से जिले का राजनीतिक महत्व चर्चा का विषय बन गया है. राजनांदगांव लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेश बघेल, बिलासपुर सीट से देवेंद्र यादव, महासमुंद सीट से ताम्रध्वज साहू और दुर्ग सीट से राजेंद्र साहू, सभी दुर्ग जिले से हैं.
पाटन से विधायक बने भूपेश बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल दुर्ग की पाटन विधानसभा सीट से फिलहाल विधायक हैं और यादव दुर्ग की भिलाई नगर सीट से विधायक हैं. ताम्रध्वज साहू छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री थे और दुर्ग ग्रामीण सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे. इसी तरह दुर्ग लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल और कोरबा सीट से सरोज पांडे भी दुर्ग जिले की मूल निवासी हैं.
विजय बघेल दुर्ग से मौजूदा सांसद हैं. दुर्ग का पांडे ने पहले 2009-14 तक लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया था. राजनीतिक विश्लेषक आर कृष्ण दास ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जिला लंबे समय से राजनीतिक रूप से प्रासंगिक रहा है क्योंकि कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर और मोतीलाल वोरा और बीजेपी के ताराचंद साहू (जिन्होंने बाद में बीजेपी छोड़ दी) जैसे दिवंगत राजनीतिक दिग्गजों का गृह क्षेत्र रहा है.’’ उन्होंने कहा कि 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद, दुर्ग राजनीतिक केंद्र की वजह से चर्चित हो गया.
दुर्ग संभाग में सात जिले हैं शामिल
तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दो कैबिनेट सहयोगियों ताम्रध्वज साहू और गुरु रुद्र कुमार एक ही जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से चुने गए थे. दुर्ग एक राजस्व संभाग भी है जिसमें सात जिले शामिल हैं- दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गांडेई और कबीरधाम. दास ने कहा कि तीन अन्य नेता, मोहम्मद अकबर, रवींद्र चौबे और अनिला भेड़िया, राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, दुर्ग राजस्व मंडल के विभिन्न जिलों से हैं.
उन्होंने बताया कि तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह भी दुर्ग राजस्व मंडल के अंतर्गत आने वाली राजनांदगांव सीट से चार बार चुने गए हैं और फिलहाल विधानसभाध्यक्ष हैं. दास ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस का दुर्ग पर ध्यान केंद्रित करना राज्य की राजनीति में जिले की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है.
भिलाई के प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर डी एन शर्मा ने कहा, 'दुर्ग जिला लंबे समय से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. जिले के मोतीलाल वोरा ने अविभाजित मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश गवर्नर के रूप में कार्य किया था.' शर्मा ने कहा कि सबसे अच्छी बात है कि दुर्ग में कभी भी सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी गई.
उसकी वजह जिले के नेताओं ने कभी भी सांप्रदायिक आधार पर राजनीति नहीं की. उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव ने दुर्ग को एक बार फिर राज्य की राजनीति में केंद्र में ला दिया है. दोनों मुख्य दलों ने उम्मीदवारों के चयन में जिले से संबंध रखने वाले नेताओं पर भरोसा दिखाया है. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट पर तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को चुनाव होंगे और मतों की गिनती चार जून को होगी.
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