Aghan Mahalakshmi Poojan 2022: हिंदू सनातन धर्म में अगहन गुरुवार का काफी महत्व होता है. अगहन माह में हर गुरुवार महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुंवारी कन्याओं के साथ ही शादीशुदा महिलाएं भी पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं. माता को प्रसन्न करने और महालक्ष्मी की कृपा सदैव परिवार पर बने रहने और धन दौलत की कोई कमी ना हो इसके लिए अगहन गुरुवार के मौके पर महिलाओं द्वारा मां लक्ष्मी की विशेष पूजापाठ की जाती है. अगहन माह के चारों गुरुवार को महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है और दिन भर व्रत रखकर पूजा के बाद ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है. ज्योतिषियों के मुताबिक अगहन गुरुवार के तीसरे सप्ताह में काफी अच्छा संयोग बन रहा है.


इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा विशेष तौर पर किए जाने के साथ भोग के रूप में प्रसाद में इन व्यंजनों को चढ़ाए जाने से माता प्रसन्न होती हैं. सबसे पहले गुरुवार शाम को घर के मुख्य द्वार के सामने गोबर से लिपकर रंगोली सजाने के साथ पूरे घर में दीप प्रज्वलित करके माता लक्ष्मी को आमंत्रित किया जाता है.


दिन भर व्रत रखकर शाम को पूजा के बाद ही प्रसाद ग्रहण करना है. तीसरे गुरुवार के दिन श्रद्धा पूर्वक महालक्ष्मी की आराधना कर सदाचार से दिन व्यतीत करने वाले पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और स्थाई रूप से मां लक्ष्मी का वास घर पर होता है. व्रत रखने वाली महिलाएं और कुंवारी कन्या सुबह से लेकर शाम की पूजा होने तक महालक्ष्मी देवी का जाप करते रहने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है.


सुबह से शाम तक मां लक्ष्मी का जाप


ज्योतिषों के मुताबिक अगहन गुरुवार की सुबह से ही कन्या और महिलाएं व्रत रखने का संकल्प लेकर मां लक्ष्मी को तीन बार भोग लगा सकती हैं, जिसमें सुबह खीर के साथ ही दोपहर को अनरसा, बबरा, चावल का चीला, गुजिया, सूजी का हलवा आदि व्यंजनों का भोग लगाकर माता को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया जा सकता है.


इसके अलावा शाम को पूजा आरती करने के पहले रानी चोल और चिल्ल की कथा पढ़कर माता को लगाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारणा कर सकती हैं.  तीसरे गुरुवार को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक 3 चरणों में महालक्ष्मी की पूजा की जानी है. सुबह करीब 5 बजे मां लक्ष्मी के सामने दीप प्रज्वलित कर मां का स्मरण कर विधिवत पूजा होती है, दोपहर 12 बजे फिर  पूजा अर्चना कर चावल के व्यंजन का भोग लगाने और इसके अलावा जो भी महिलाएं माता की मूर्ति स्थापित करती हैं उन्हें खासतौर पर माता के सामने लाल चुनरी चढ़ाकर महालक्ष्मी का जब करना है. 


इसके अलावा प्रतिमा स्थापित करने के दौरान प्रसाद के रूप में नारियल, केला, सिंघाड़ा, आंवला रखने के साथ ही चावल के व्यंजन और सब्जी का भी भोग लगाना है. कहा जाता है कि इस अगहन माह के दौरान मां लक्ष्मी साक्षात घर में प्रवास करती हैं और भक्तों पर काफी प्रसन्न होती है, ऐसे में इस माह के तीसरा गुरुवार काफी महत्वपूर्ण होता है ,और इस दिन खास विशेष पूजा-अर्चना कर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है.


इन प्रसादों से लगाएं भोग


महालक्ष्मी को चढ़ाए जाने वाले भोग में नारियल, केला, सिंघाड़ा आंवला, बेर ,सीताफल, धान की बाली का झालर, कुम्हड़ा, आंवला, पान,कपड़ा, टोकनी, प्याज, तेल, घी, शक्कर चावल आदि पूजन सामग्री चढ़ाया जाना है. खासकर शादीशुदा महिलाएं अपने परिवार के साथ शाम को होने वाले महालक्ष्मी की आरती में शामिल होकर माता की जप करने से सदैव मां लक्ष्मी की कृपा परिवार के लोगों पर बनी रहती है.


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