Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का एक ऐसा युवा किसान जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद खेती किसानी कर रहा है. इतना ही नहीं यह युवा किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा भी कमा रहे है. फूलों की खेती करने वाले इस युवा किसान का नाम है अमर चंद्राकर. अमर चंद्राकर वैसे तो बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग है, लेकिन नौकरी का मोह त्याग कर मुनाफे की इस खेती को ही नौकरी मानकर काम कर रहा है. साथ में सामाजिक कामो में भी हाथ बटा रहे हैं.


छोटे से जमीन से शुरू की फूलों की खेती करना
जेहन में किसी फूल का ख्याल आते ही उसकी महक से मन भर जाता है. लेकिन उसकी महक से यदि धन भी मिलने लगे तो समझिए जिंदगी ही महकने लग जाती है. महासमुंद जिला के ग्राम मालीडीह एक छोटा सा गांव है. यहां के किसान अरुण चंद्रकार वैसे तो एक परम्परागत किसान है, लेकिन कुछ साल पहले प्रायोगिक तौर पर कुछ अलग करने की सोची और फूलों की खेती की तरफ हाथ अजमाया. उद्यान विभाग के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर गुलाब की खेती करना शुरू किया. शुरुआत में 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए. इसके लिए उद्यानिकी विभाग से पॉली हाऊस योजना का लाभ भी लिया. 


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इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका युवा किसान फूलों की खेती कर कमा रहा है लाखों रुपए
उनका बेटा अमर चंद्राकर ने भी अपने पिता के कामो को आगे बढ़ाते हुए आवश्यक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण लेकर इस खेती को व्यावसायिक रूप देकर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत पैक हाऊस निर्माण का लाभ भी लिया. साथ ही समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन लेते रहे. फूलों में आमदनी को देखते हुए युवा किसान अमर चंद्राकर ने एक-एक एकड़ क्षेत्र के दो स्थानों पर झरबेरा फूल की खेती 2020-21 में शुरू किया. आज झरबेरा की खेती से वे प्रति माह लगभग एक लाख रुपए की बचत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती की योजना है. आज 35 मजदूर उनके पॉली हाऊस में काम कर रहें हैं. जो प्रतिदिन कटाई-छटाई और दवाई देने का काम करते हैं.


भारत के इन महानगरों में होती है इन फूलों की सप्लाई
अमर चंद्राकर ने बताया कि उनके फूल प्रति नग कम से कम ढाई रुपए से लेकर 17 रुपए तक की दर से रायपुर, मुम्बई, नागपुर, कोलकाता, बेंगलुरु आदि महानगरों में बेचे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी एक क्षेत्र में सेवंती फूल लगाया गया है, जिसका नवम्बर माह से उत्पादन शुरू हो जाएगा. अमर चंद्राकर वैसे तो बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग है, लेकिन नौकरी का मोह त्याग कर मुनाफे की इस खेती को ही नौकरी मानकर काम कर रहे है. साथ में सामाजिक कामो में भी हाथ बटा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव में रहकर ही गांव की सेवा कर और फूलों की खेती से मैं संतुष्ट हूं.