Jashpur News: महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर मंदिर और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है, लोग भगवान शिव की आराधना कर खुशहाली की कामना कर रहे हैं. महाशिवरात्रि पर सरगुजा जिले के देवगढ़ शिव मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है, इसके अलावा देवगढ़ में शिवरात्रि के मौके तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है. सूरजपुर जिले के प्रसिद्ध सारासोर और शिवपुर में स्थित प्राचीन शिव मन्दिर में भी भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. सुबह से ही सरगुजा संभाग के इन तीनों मंदिरों में भक्तों का आना जाना लगा हुआ है.
इसके अलावा जशपुर जिले में स्थित मधेश्वर पहाड़ (Madheshwar Mountain) की चर्चा भी जोरों पर है, इस पहाड़ को विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग (Shivling) होने का गौरव प्राप्त है.
मधेश्वर पहाड़ को माना जाता है शिव भगवान का प्रतिरूप
जशपुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय हाइवे 78 पर चरई डांड के समीप मयाली गांव स्थित है, यहां मधेश्वर पहाड़ है, जिसकी आकृति शिवलिंग के समान दिखाई देती है. ग्रामीण लोग इस पहाड़ की पूजा करते है और विश्व का बड़ा शिवलिंग होने का गौरव प्राप्त है. मधेश्वर पहाड़ को शिव भगवान का प्रतिरूप माना जाता है तथा प्रतिवर्ष यहां मेले का भी आयोजन होता है और इससे पहले शिव भगवान की पूजा भी की जाती है. यह पर्वत आकार में शिवलिंग के समान ही है.
चालीस गांव से दिखाई देता है यह विशाल पहाड़
मधेश्वर पहाड़ एक बहुत ही विशाल चट्टान से बना हुआ है जो भूमि से सीधे 300 मीटर ऊंचा उठा हुआ है. इसका आकार एक शिवलिंग के समान है जो. वर्षा ऋतु में इसके ऊपर बरसने वाली बारिश जलधारा बनकर नीचे चली आती हैं और इस प्रकार बहती हुई धाराएं इस शिवलिंग रूपी चट्टान में एक चौड़ी और लम्बवत निशान बना देती हैं जो बिल्कुल मंदिर के पुजारी द्वारा शिवलिंग पर लगाए गए लम्बे टीके की तरह दिखाई देती हैं. इस वर्ष शिवरात्रि के मौके पर भी मधेश्वर पहाड़ में श्रद्धालु सुबह से पहुंच रहे हैं और मधेश्वर पहाड़ पर बने शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं. बता दें कि यह पहाड़ इतना बड़ा है कि आसपास के 40 से ज्यादा गांव से नजर आता है. इस पहाड़ में हजारों ग्रामीणों की आस्था है, यही वजह है कि अब मधेश्वर पहाड़ की प्रसिद्धि प्रदेशस्तर तक पहुंच चुकी है.
गांववासी रखते हैं पहाड़ पर हरियाली का ख्याल
मधेश्वर पहाड़ मयाली गांव में स्थित है. पहाड़ पर स्थित वनों का संरक्षण ग्रामीणों द्वारा किया जाता है तथा नए वृक्षों का रोपण भी वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है जिससे वहां के वन अब व्यवस्थित नजर आते हैं. सभी ग्रामीण पर्यावरण के महत्त्व को समझते हुए अपने घर में कम-से-कम 5 वृक्ष अवश्य लगाते हैं, जिसमें मुनगा, पपीता, नीबू, आंवला तथा आम के वृक्ष शामिल हैं. इन वृक्षों से मयाली ग्राम पंचायत में चारों ओर हरियाली ही हरियाली है. वर्तमान में यहां वन विभाग द्वारा नेचरपार्क का निर्माण किया गया है जिससे सम्पूर्ण मयाली ग्राम पंचायत को फायदा हो रहा है तथा ग्राम पंचायत की वित्तीय स्थिति में गुणोत्तर सुधार हुआ है.
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