Surguja News: हरी-भरी पहाड़ियों और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सरगुजा जिले के मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है. आजादी के इतने सालों बाद भी बरसात के दिनों में यहां के दर्जनों गांव पहुंचविहीन हो जाते हैं. यहां कि पहाड़ी, नदियों में पुल-पुलिया ना होने की वजह से लोगों को जान जोखिम में रखकर नदी पार करना पड़ता है. इतना ही नहीं स्कूली बच्चों और शिक्षकों के लिए तो बारिश का हर दिन बेहद खतरनाक और मुसीबतों से भरा होता है.
छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत सीतापुर विधानसभा से चार बार विधायक हैं, वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. मैनपाट भी इन्हीं की विधानसभा में आता है, लेकिन मैनपाट के दर्जनों गांव में आज भी विकास की किरण नहीं पहुंची है. कई गांव ऐसे है जहां तक जाने के लिए सड़कें नहीं है. कहीं पर पीने के पानी की समस्या है. इस इलाके के कई गांवों में बारिश के बाद मुख्य मार्ग से संपर्क टूट जाता है. यहां से निकलने वाली अधिकांश नदियों में पुल-पुलिया या कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.
एबीईओ नदी पार कर पहुंचे स्कूल
इसलिए बारिश के दिनों में गांव के लोग गांव में ही रहते और जरुरत पड़ने पर जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करते हैं. इतना ही नहीं मैनपाट के करीब दर्जन भर शासकीय स्कूलों में पहुंचने के लिए नदी पार कर के जाना पड़ता है. ऐसे में दर्जनों शिक्षक और छात्र जान जोखिम में जालकर नदी पार करते हैं और फिर स्कूल पहुंचते हैं. मैनपाट के सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी (ABEO) ने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की परेशानी सुनकर, जान जोखिम में डालकर नदी पार करके स्कूल पहुंचे.
इन स्कूलों तक पहुंचने के लिए करना पड़ता है नदी पार
मैनपाट के एबीईओ सतीश तिवारी के मुताबिक़ उनके विकासखंड के अंतर्गत कुछ स्कूल नदी पार करके जाना पड़ता है. जैसे मछली नदी पार करके प्राथमिक और माध्यमिक शाला ढोढीटिकरा, प्राथमिक शाला नरकट, जबकि घुनघुट्टा नदी पार करके प्राथमिक व माध्यमिक शाला कदनई, प्राथमिक शाला कदमटिकरा, प्राथमिक शाला लोटाभावना में नदी पार कर शिक्षक पहुंचते हैं.
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