राज्य सरकार की ओर से बस्तर में चलाया गया सुपोषण अभियान कारगर साबित हो रहा है. बस्तर को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए शुरू किया गया अभियान के सकारात्मक नतीजे दिख रहे हैं. हालांकि, इसके लिए अभी और काम किए जाने की जरूरत है. दरअसल, बस्तर में कुपोषण का प्रतिशत भी अब घटने लगा है. आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था पहले से काफी दुरुस्त की गई है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को पोषण आहार भी मिल रहा है. जिला प्रशासन ने दावा किया है कि अगले 2-3 महीनों में बस्तर कुपोषण मुक्त होगा.


बता दें कि बस्तर में कुपोषण की समस्या लंबे समय से है. हर साल बस्तर को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की राशि खर्च की जाती है, लेकिन लेकिन अब तक जिला कुपोषण मुक्त नहीं हो सका है. हालांकि, सुपोषण अभियान कारगर साबित हो रहा है. अभियान के तहत प्रशासन कुपोषित बच्चों के घर-घर तक पहुंच रहा है. साथ ही गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी सेंटर में रखकर उनका इलाज किया जाता है. 


दो साल में घटा कुपोषित बच्चों का प्रतिशत
बीते दो सालों में जिले में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत तेजी से घटा है. फिलहाल बस्तर में साढ़े 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. महिला बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बस्तर में 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे.


13 हजार से ज्यादा है कुपोषित बच्चों की संख्या
बस्तर में कुपोषित बच्चों की संख्या 13 हजार 500 है, जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2500 है. कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए पूरी तरह से विभाग जुटा हुआ है. वहीं जिस तरह से पिछले कुछ सालों में बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत कम हुआ है, इसको लेकर नीति आयोग ने भी जिले की तारीफ की है.


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