Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में इंसान और जानवर का अनूठा प्रेम देखने को मिला है. भरतपुर ब्लॉक के उचेहरा गांव में बाबा की कुटिया है. बाबा की कुटिया में रोजाना भालू का पूरा परिवार आता है.  कभी दो भालू तो कभी तीन भालू पहुंच जाते हैं. बाबा भालुओं को बड़े प्रेम से भोजन और प्रसाद खिलाते हैं. भालुओं को देखने के लिए अब बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं. बाबा भालुओं को अपने हाथों से प्रसाद और भोजन खिलाते हैं.


बाबा के साथ कुटिया में रहने वाली बुजुर्ग महिला की आवाज सुनकर भालू खींचे चले आते हैं. भालुओं का बाबा ने नाम दे रखा है. प्यार से सीताराम, चुन्नू मुन्नू बाबा भालुओं को पुकारते हैं. भालू बाबा की आवाज भी पहचानते हैं. बाबा की आवाज सुनकर जंगलों से भालू कुटिया के पास चले आते हैं. भालुओं का परिवार प्रसाद और भोजन खाने के बाद चला जाता है. बस बाबा का इशारा मिलने की देरी होती है. पिछले चार पांच सालों से बाबा की कुटिया में भालुओं का आना जाना लगा हुआ है.




इंसान और जानवर के बीच अनोखा प्रेम


भालुओं की बाबा प्यास भी बुझाते हैं. हैरानी की बात है कि शाम में बाबा की पूजा के दौरान भालू कथा सुनते हैं. घने जंगलों के बीच बाबा की कुटिया में रोजाना शाम को भालुओं का पहुंचना लोगों की उत्सुकता का विषय बन गया है. भालुओं के प्रसाद खाकर वापस चले जाने का वीडियो वायरल हो रहा है. महासमुंद जिले के बागबाहरा में भालू प्रसाद खाने रोजाना पहुंचते हैं. चंडी माता के मंदिर में रखा प्रसाद खाकर भालू चले जाते हैं. एमसीबी जिला छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित है. पशु प्रेम की वजह से बाबा की चर्चा दोनों प्रदेश में होने लगी है. लोग कुटिया में बाबा का भालुओं के प्रति करुणा देखकर हैरान रह जाते हैं. 


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