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Chhattisgarh: मनेन्द्रगढ के रेस्ट हाउस में नेताओं-अधिकारियों का कब्जा, अतिथि के आने पर ऐसे होता है मैनेज
Chhattisgarh News: मनेन्द्रगढ में कुछ अधिकारी और विधायक का पिछले कई साल यहां के रेस्ट हाउस में स्थाई कब्जा हो गया है. जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
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Manendragarh-chirmiri-Bharatpur News: जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ (Manendragarh) में बना शासकीय रेस्ट हाउस नेताओं और अधिकारियों का घर बन गया है. वैसे तो नाम से लगता है कि केवल विश्राम करने के लिए बने इस रेस्ट हाउस में कई सालो से अधिकारियों, विधायकों और उनके कर्मचारियों का कब्जा है. जब कभी किसी को गेस्ट को रेस्ट करने यहां आना होता है, तो फिर आनन में सामान शिफ्ट किया जाता है.
यहां के गेस्ट हाउस में जिसका कब्जे है, उसमें विधायक और दो अधिकारी शामिल हैं. वैसे तो शासन से इनको माकान किराया मिलता होगा, लेकिन फोकट के जुगाड़ में रहकर इसको भी बचाने की कवायद में ये सभी रेस्ट हाउस को ही अपना माकान बना चुके हैं. किसी भी शहर का रेस्ट हाउस वहां आने वाले वीआईपी, बड़े अधिकारी और विशेष अतिथियों के अस्थाई रूप से ठहरने का ठिकाना होता है.
शासकीय माकान फिर भी रेस्ट हाउस में कब्जा
मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधायक से लेकर तमाम अधिकारियों के लिए नाम मात्र का शुल्क भरकर यहां रूकने की व्यवस्था होती है. पर नए बने जिले के जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ में कुछ अधिकारी और विधायक का पिछले कई साल यहां के रेस्ट हाउस में स्थाई कब्जा हो गया है. जिला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. जानकारी के मुताबिक सोनहत भरतपुर विधायक गुलाब कमरो एक कमरे में और उनके पीएसओ और ड्रायवर दूसरे कमरे में कब्जा जमाए हुए है, जबकि इसी रेस्ट हाउस के ठीक पीछे इन्हें शासकीय माकान मिला है. इसमें इनका परिवार रहता है.
रेस्ट हाउस बना बेस्ट हाउस
विधायक और उनके पीएसओ के अलावा 6 महीने से दो डिप्टी कलेक्टर भी यहां के रेस्ट हाउस में कब्जा जमाए हुए हैं. इनमें प्रवीण भगत और एक महिला संयुक्त कलेक्टर का नाम शामिल है. हांलाकि अभी हाल फिलहाल में महिला संयुक्त कलेक्टर की शादी के बाद रेस्ट हाउस के उस रूम पर जनसंपर्क अधिकारी ने अपना कब्जा जमा लिया है. इस अव्यवस्था और कब्जे का नतीजा है कि जब कोई वीआईपी या बड़े नेता जब मनेन्द्रगढ आते हैं, तब रूम खाली करवाने के लिए यहां के कर्मचारियों को सामान शिफ्टिंग का काम एक बार नहीं दो दो बार करना होता है. एक बार तब जब वीआईपी आते हैं और एक बार तब जब वो जाते हैं. मतलब कुल मिलाकर मनेन्द्रगढ का रेस्ट हाउस विधायक और अधिकारियों का बेस्ट हाउस बनकर रह गया है.
कलेक्टर ने क्या कहा
रेस्ट हाउस में ऐसी अवस्था को रोकने के लिए कलेक्टर द्वारा सत्कार अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. मनेन्द्रगढ एसडीएम और सत्कार अधिकारी अभिषेक कुमार ने एबीबी न्यूज से चर्चा में बताया कि विधायक गुलाब कमरों को रेस्ट हाउस के पिछे घर मिला है. वो रेस्ट हाउस में मीटिंग वगैरह लेते हैं. जब कोई गेस्ट आते हैं तो शिफ्टिंग करके उन्हें रूम दिया जाता है. इसी तरह अधिकारियों के कब्जे के सवाल पर एसडीएम ने कहा कि अभी नया जिला बनने से जल्दी रूम किराए में नहीं मिल पा रहे हैं . जैसे जैसे रूम मिल रहा है. वैसे वैसे रेस्ट हाउस को खाली कराया जा रहा है.
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