Manendragarh News: सरगुजा संभाग के मनेन्द्रगढ जिले में महिला की संदेहास्पद मौत की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है. शव मिलने के बाद पुलिस साधारण मौत का अपराध दर्ज कर मामले की छानबीन कर रही थी. लेकिन पुलिसिया जांच में पता चला कि महिला की मौत कोई हादसा नहीं था बल्कि सुनियोजित तरीके से हत्या की गई थी. हत्या के बाद कई महीने तक जंगल में जिंदगी काट रहे आरोपी को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.


1 साल 3 महीने बाद महिला की हत्या का पर्दाफाश


राजमनेन्द्रगढ थाना पुलिस को 8 सितंबर 2020 को सूचना मिली थी कि हसदेव नदी के पास हस्तिनापुर जंगल में तितली माडा नामक स्थान पर एक महिला का शव पड़ा हुआ है. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को काफी खराब हालत में पाया. पुलिस ने महिला के शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम कराया. महिला की पहचान चक्काडांड गांव की सोनिया सिंह के रूप में हुई. पुलिस ने साधारण मौत समझकर मामला दर्ज कर लिया और घटना की जांच शुरू कर दी. जांच करीब 1 साल 3 महीने तक चली और तब जाकर पुलिस को पता चला कि मामला हादसा नहीं बल्कि हत्या का है. छानबीन में पुलिस को पता चला कि महिला आखिरी बार पति सिद्धू सिंह के साथ जंगल की ओर जाते देखी गई थी. लिहाजा पुलिस के शक की सुई पति पर जाकर रुक गई. जांच में पुलिस को पता चला कि सिद्धू घटना के समय से फरार है. पति की खोजबीन में जुटी पुलिस को 1 साल 3 महीने लग गए. पता चलने पर आखिरकार हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो आरोपी ने दूसरी पत्नी की हत्या स्वीकार कर ली. पुलिस ने चक्काडांड निवासी 45 वर्षीय आरोपी सिद्धू सिंह के खिलाफ हत्या का नामजद मामला दर्द कर आज न्यायिक रिमांड पर भेज दिया. 


पत्नी की हत्या के बाद पुलिस के डर से पति रहा फरार


आरोपी सुद्धू सिंह ने पुलिस को बताया कि मृतिका सोनिया दूसरी पत्नी थी. सोनिया की रिपोर्ट पर धारा 376 के तहत जेल में रह चुका था और जमानत पर छूटने के बाद सोनिया को पत्नी बनाकर साथ रहने लगा. घटना वाले दिन आरोपी की सोनिया के पूर्व पति लालसाय के साथ मारपीट हुई और रिपोर्ट थाना में दर्ज हो गई. उसकी वजह से आरोपी और सोनिया के साथ फिर झगड़ा हो गया. दोनों लड़ते झगड़ते जंगल की तरफ चले गए. गुस्से में आकर सिद्धू सिंह ने सोनिया का गला दबाकर हत्या कर दी और शव को तितली माड़ा खाई में छुपाकर रख दिया.


आरोपी हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस के डर से फरार हो गया. फरारी के दौरान पति अमृतधारा जंगल के आसपास रहा और सैलानियों से खाना मांगकर जिंदगी गुजार रहा था. आरोपी ने कबूलनामे में ये भी बताया कि फरारी के दौरान 1 साल 3 महीने तक खेतों में मजदूरी भी की. हत्या की गुत्थी को सुलझाने में थाना प्रभारी सचिन सिंह , सहायक उप निरीक्षक आरएन गुप्ता, राजेन्द्र श्रीवास्तव, प्रधान आरक्षक अमर सिंह अंजाम, आरक्षक जितेन्द्र ठाकुर, राजेश कुमार, इश्तेयाक खान, प्रमोद यादव, पुरूषोत्तम बघेल, नगर सैनिक सुरेश रजक का योगदान रहा.


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