Manendragarh Chirmiri Bharatpur News: एक पुत्र ही अपने पिता को मुखाग्नि दे सकता है. बेटियों को मुखाग्नि देने की इजाजत नहीं है. इस रुढ़िवादी सामाजिक मानसिकता से इतर नदी पार क्षेत्र के मनीष रैकवार परिवार की दो बेटियों ने सोमवार (4 नवंबर) को अपने पिता के शव को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि श्मशान घाट पर मुखाग्नि देकर अपना कर्तव्य भी निभाया.
मनीषा रायकवार की दोनों बेटियां भी श्मशान घाट गईं. बेटी ने अपने पिता मनीष रायकवार को जिंदा जलाकर यह साबित कर दिया कि बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं है.
दरअसल, मनेंद्रगढ़ शहर में नदी पार सुरभि पार्क के पास रविवार (4 नवंबर) दोपहर 50 वर्षीय मनीष राजकवार की मौत हो गई. उनकी मृत्यु के समय उनकी पत्नी गायत्री रायकवार और बड़ी बेटी मनस्वी रायकवार घर पर थीं. सबसे छोटी बेटी मान्यता रायकवार ने बेमेतरा में खेती की पढ़ाई की.
रविवार दोपहर उन्हें पिता की मौत की खबर मिली. फिर सोमवार को मनीषा रायकवार की सबसे छोटी बेटी मान्यता रायकवार उनके घर पहुंचीं. वह अपने पिता मनीष रायकवार का कंधा पकड़कर श्मशान घाट पहुंची और मुक्तिधाम में चिता को मुखाग्नि दी.
मौजूद लोगों की आंखें भी हो गईं नम
बेटी ने बेटे और बेटी का फर्ज निभाते हुए अपने पिता के लिए अपनी जान दे दी. पिता की मौत से दुखी बेटी मान्यता और मनस्वी भारी मन से अपने पिता की अंतिम यात्रा पर निकलीं. श्मशान घाट पर इस बहादुर बेटी ने अपने पिता के अंतिम संस्कार का शोक मनाया और उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े. जब उन्होंने बेटी को अपने पिता को मुखाग्नि देते देखा तो अत्यंत प्रेमपूर्ण और करुणामयी दृश्य देखकर उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं.
ये भी पढ़ें: रायपुर सेंट्रल जेल के बाहर चली गोली, बदमाश पर दो राउंड फायरिंग, गले में लगी गोली