MP Paddy Crop: मानसूनी बारिश सही समय पर न होने पर कई राज्यों में चालू खरीफ सत्र में धान की बुवाई का रकबा 5.99 प्रतिशत घटकर 367.55 लाख हेक्टेयर रह गया है. इस बुवाई को लेकर कृषि मंत्रालय ने भी आंकड़े जारी कर दिए हैं. कृषि मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों में धान की बुवाई के रकबे में बड़ी गिरावट का जिक्र किया गया है. एक साल पहले की समान अवधि में 390.99 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की गई थी. धान खरीफ सत्र की मुख्य फसल है. इसकी बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून आने के साथ ही शुरू हो जाती है और अक्टूबर से इस फसल की कटाई शुरू हो जाती है.


मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस खरीफ सत्र में 26 अगस्त तक झारखंड में धान के रकबे में 10.51 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में 4.62 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 3.45 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 2.63 लाख हेक्टेयर, बिहार में 2.40 लाख हेक्टेयर और ओडिशा में 2.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की कम बुआई हुई है. इनके अलावा असम (0.49 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (0.46 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.44 लाख हेक्टेयर), त्रिपुरा (0.22 लाख हेक्टेयर), नागालैंड (0.21 लाख हेक्टेयर), मेघालय (0.18 लाख हेक्टेयर) में भी धान का रकबा घटा है.


 दलहन फसलों का रकबा भी हुआ कम


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, देश में 24 अगस्त तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश सामान्य से नौ प्रतिशत अधिक हुई है. देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में इसी दौरान बारिश 19 प्रतिशत कम हुई है, इसकी वजह से धान के रकबे पर असर पड़ा है. धान के अलावा खरीफ सत्र में 26 अगस्त तक कुल दलहन क्षेत्र भी 4.95 प्रतिशत गिरकर 127.71 लाख हेक्टेयर हो गया है. एक साल पहले की समान अवधि में दलहन फसलों का रकबा 134.37 लाख हेक्टेयर था.


MP Cheetah: मध्य प्रदेश में अफ्रीकी देशों से चीते लाने की तैयारी पूरी, किसानों को ऐसे होगा फायदा


गन्ने के रकबे में हल्की बढ़त


अरहर का रकबा 44.07 लाख हेक्टेयर है जो एक साल पहले की समान अवधि में 44.07 लाख हेक्टेयर था. इसी अवधि में उड़द का रकबा 36.15 लाख हेक्टेयर है जो एक साल पहले 37.91 लाख हेक्टेयर था. तिलहन फसलों की बुवाई के मामले में भी स्थिति पिछड़ती हुई नजर आ रही है. मौजूदा खरीफ सत्र में 26 अगस्त तक तिलहनों का रकबा 186.48 लाख हेक्टेयर था, जो एक साल पहले की अवधि में 188.62 लाख हेक्टेयर था. हालांकि मोटे अनाज के मामले में बुवाई एक साल पहले के 169.39 लाख हेक्टेयर से थोड़ा अधिक 176.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है. नकदी फसलों के मामले में कपास का रकबा 124.55 लाख हेक्टेयर रहा और गन्ने का रकबा भी हल्की बढ़त के साथ 55.59 लाख हेक्टेयर से थोड़ा अधिक है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि 26 अगस्त तक जूट का रकबा 6.94 लाख हेक्टेयर के साथ स्थिर रहा.


'हो सकता है आपके संबंध उनसे जुड़ गए हों जिन्होंने आर्टिकिल 370 को खत्म किया', आजाद के इस्तीफे पर बोले दिग्विजय