Jawans Killed By Maoists In Bastar: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में माओवादी बीते 5 सालों में टारगेट किलिंग कर 500 से ज्यादा लोगों की जान ले चुके हैं, इसमें जवान और आम नागरिक शामिल हैं. गृह मंत्रालय से मिले आंकड़े के मुताबिक नक्सलियों ने बीते 5 सालों में 168 जवान और 335 ग्रामीणों की जान ले ली है और इन सभी को नक्सलियों ने टारगेट कर मौत के घाट उतारा है.
नक्सलियों ने अपनी रणनीति बदलते हुए अब जवानों के बड़े समूह को नहीं बल्कि ऐसे जवानों को टारगेट बनाकर मौत के घाट उतार रहे हैं जो छुट्टी में घर आते हैं या फिर गांव गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में घूमने गए हुए हैं.
गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा नक्सलियों ने ऐसे जवानों को टारगेट कर मौत के घाट उतारा है जो नक्सली संगठन में रहकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर पुनर्वास नीति के तहत पुलिस की नौकरी कर रहे हैं.
ऐसे जवान जब अपने नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थित घर पहुंचते हैं तो उन्हें ताक में रखकर नक्सली उनकी हत्या कर रहे हैं. इसके अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी और पुलिस मुखबिरी के शक में ग्रामीणों को भी टारगेट कर नक्सली मौत के घाट उतार रहे हैं, हालांकि इन 5 सालों में जवानों ने भी 327 नक्सलियों को भी विभिन्न मुठभेड़ों में मार गिराया है.
70 फीसदी नक्सल घटनाओ में आई कमी
गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 5 सालों में बस्तर में 1132 नक्सली वारदात हुई है, हालांकि गृह राज्यमंत्री ने बीते 5 सालों में घटनाओं में काफी कमी आने की बात कही है और जवानों के हत्या के मामले में भी 70 फ़ीसदी कमी आना बताया है, इसके पीछे बीते 5 सालों में कोर इलाक़ों में 60 से अधिक पुलिस कैंप खोले जाने और जवानों द्वारा गश्ती के दौरान पिछले सालों की तुलना में काफी अलर्ट रहने की वजह भी बताई है, लेकिन इन 5 सालों में नक्सलियों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है और टारगेट किलिंग के जरिए जवानों और ग्रामीणों को मौत के घाट उतार रहे हैं.
नक्सली अब गश्ती पर निकलने वाले जवानों के बड़े समूहों पर हमला नहीं कर रहे हैं, बल्कि ऐसे जवानों को टारगेट बना रहे हैं जो कम संख्या में मिल रहे हैं. टारगेट किलिंग के जरिए नक्सली ग्रामीणों में दहशत फैला रहे हैं, खासकर संगठन में सरेंडर करने के बाद बस्तर पुलिस में शामिल हुए जवानों को नक्सलियो द्वारा टारगेट किया जा रहा है, साथ ही पुलिस मुखबिर का आरोप लगाकर ग्रामीणों को मौत के घाट उतारा जा रहा है.
फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस कैम्प के जरिए मिल रही सफलता
सीआरपीएफ डीजी एस.एल थाओसेन ने भी हाल ही में अपने बस्तर प्रवास के दौरान बताया कि पहले नक्सली जवानों के बड़े समूह को अपना निशाना बनाते थे लेकिन अब अंदरूनी क्षेत्रों में पुलिस ने भी अपने ऑपरेशन का तरीका बदला है और नक्सल ऑपरेशन में निकलने से पहले ड्रोन के माध्यम से पूरे इलाके की सर्चिंग की जाती है और उसके बाद जवान ऑपरेशन पर जाते हैं. डीजी ने कहा कि बस्तर के कोर इलाकों में सीआरपीएफ ने फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस कैंप ( FOB) बनाया है और इस कैंप के बनने से पिछले सालों की तुलना में नक्सली काफी बैकफुट पर हैं और उनकी कमर भी टूटी है.
झारखंड और बिहार के तर्ज पर बस्तर में भी इस तरह के कैम्प से सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाब होगी, CRPF डीजी ने बताया कि यहां के पुलिस कैम्पों को FOB कैंप बनाने के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा कैंपों को फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस कैम्पो में डवलप किया जाएगा, फिलहाल टारगेट किलिंग के बढ़ते मामले को देखते हुए पुलिस इसके लिए भी रणनीति तैयार कर रही है.
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