Chhattisgarh News: सरगुजा संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि लोग इसमें जकड़े हुए हैं. आज भी लोग मौत के बाद झाड़ फूंक, टोटके और दूसरी तरह के प्रयोग करते हैं. इसकी वजह से इलाज से बच जाने वाला इंसान भी लेट लतीफी के कारण मौत की नींद सो जाता है. ऐसा ही एक मामला शनिवार को ज़िले के सोनवर्षा गांव में सामने आया. यहां आकाशीय बिजली की चपेट में आए दो भाइयों को परिजनों और गांव वालों ने गोबर में डाल दिया. हालांकि, इसके बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी. बाद में दोनों को मृत घोषित कर दिया गया.
दो चचेरे भाई आ गए चपेट में
सरगुजा संभाग के मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर ज़िले में हमेशा की तरह एक ऐसा नजारा देखने को मिला. इस पर विश्वास करना अंधविश्वास का बढ़ावा देने वाला है. दरअसल शनिवार को ज़िले के नागपुर पुलिस चौकी इलाक़े के सोनवर्षा गांव में दो चचेरे भाई आशीष टोप्पो और सियोन टोप्पो बारिश और आंधी से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे छिप गए थे. इसी दौरान वो आकाशीय बिजली की चपेट में आ गए. दोनों को मौक़े पर ही मौत हो गईं.
लोगों ने गाड़ दिया गोबर में
इसके बाद जो हुआ वो केवल अंधविश्वास ही है. मौत होने के बाद परिजनों और गांव वालों ने उनकी जान वापस लाने के इरादे से दोनों को गोबर के ढेर में गले तक गाड़ दिया. लेकिन शायद ये कोई इलाज नहीं था. लिहाजा काफ़ी देर तक उनकी जान वापस नहीं आई.
पुलिस के समझाने पर मानें परिजन
घटना के बाद इसी सूचना पुलिस को मिली. पुलिस टीम गांव में पहुंची तो दोनों मृत युवकों को गोबर के ढेर में दबा देखकर वह भी सोच में पड़ गए. फिर किसी तरह पुलिस ने परिजनों को समझाया कि ऐसा करने से ज़िंदगी वापस नहीं आएगी. तब जाकर शवों को गोबर से बाहर निकाला गया. बाहर निकालने के बाद पुलिस ने शवों का पंचनामा करा कर पोस्टमार्टम कराया. इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया.
पहला मामला नहीं है यह
ग़ौरतलब है कि आदिवासी बाहुल्य सरगुजा इलाक़े में इस तरह का ये कोई अनोखा मामला नहीं है. इसके पहले भी कई बार से देखा गया है कि आकाशीय बिजली से होने वाली मौत के बाद शव को गोबर में गाड़ कर उसे ज़िंदा करने का प्रयास किया जाता है.
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