Ambikapur News: अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे बच्चा बदल जाने का एक गंभीर मामला सामने आया है. जिसमे एक दंपत्ति ने अस्पताल प्रबंधन पर बेटा बदलकर बेटी दिए जाने का आरोप लगाया है. मामले के बाद परिजनो ने जहां प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की. तो वहीं इस मामले के सामने आने के बाद पूरे अस्पताल मे हडकंप मचा हुआ है. हांलाकि अस्पताल प्रबंधन ने अपने रिकार्ड के आधार पर इस आरोप को बेनुनियाद बताया है.


क्या है पूरा मामला
अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पाल मे बीते चार दिसंबर को जशपुर जिले के बगीचा इलाके के रहने वाली गीता बेक और सरगुजा जिले के दरिमा थाना क्षेत्र सोनबरसा गांव की रहने वाली गीता दास को प्रसव पीड़ा के बाद भर्ती कराया गया था. गीता नाम की दोनो महिला ने पांच तारीख को बच्चे को जन्म दिया. जन्म के जिसके बाद दोनो के बच्चो को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू मे भर्ती कराया. इनमे से बॉय बेबी की तबियत ठीक होने के कारण 5 तारिख को ही उसे एसएनसीयू के आउटबोर्न से निकालक मां गीता बेक को सौंप दिया गया. लेकिन गर्ल बेबी की तबियत स्थित नहीं होने के कारण उसे ऑक्सीजन के लिए एसएनसीयू के इन बोर्न यूनिट मे रखा गया था. जो अभी भी वहीं पर एडमिट हैं.


परिजनों ने लगाया अस्पताल प्रबंधन पर आरोपइधर एक ही नाम की दो महिलाओं ने एक ही दिन कुछ मिनट के अंतराल मे बेटा औऱ बेटी को जन्म दिया. इसलिए अब जब दरिमा इलाके की रहने वाली गीता दास औऱ उसके पति संतन दास को ये बताया कि आपको बेटी हुई है. तो उन लोगो से इस बात से आपत्ति जताते हुए मामले का विरोध किया है. दरिमा की रहने वाले संतन के मुताबिक उनकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था. इतना ही नहीं उसका कहना है कि बेटा होने के बाद अस्पताल स्टाफ ने मिठाई खिलाने के लिए भी कहा था. लिहाजा इस बात से नाराज गीता दास औऱ संतन दास ने अस्पताल प्रबंधन पर बेटा बदलकर बेटी होने की जानकारी देने का आरोप लगाया है. इधर इस आरोप को गीता दास के आस पास एडमिट अन्य प्रसूति महिलाओ ने भी पुख्ता कर दिया है. उनके मुताबिक गीता को बेटा दिया गया था. उसने बच्चे को फीड भी कराया है.


अस्पताल प्रबंधन ने किया आरोपों का खंडन
इधर इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग की HOD डाँ सुमन ने बताया कि परिजनो का आरोप बेबुनियाद है क्योंकि अगर फीड कराने की बात कही जा रही थी. तो पहली बात कि गीता दास पति संतन दास निवासी दरिमा ने बेटी को जन्म दिया था. जो काफी कमजोर है उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी. इसलिए उसको 5 तारीख को जन्म के बाद से ही एसएनसीयू के इनबोर्न यूनिट मे रखा गया है. ऐसे मे फीड कराने का तो सवाल ही नहीं उठता है. वहीं डाँ सुमन ने कहा कि रिकार्ड और समय के अनुसार गीता दास ने बेटी को ही जन्म दिया था. जबकि दूसरी महिला गीता बेक ने बेटे को जन्म दिया था. और गीता बेक के बेटे की तबियत स्थिर होने के बाद उसको 5 तारीख को ही उसका बच्चा सौंप दिया गया था. इसके बच्चा बदलने जैसे गंभीर औऱ संवेदनशील मामले में  मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ लखन सिंह ने बताया कि जन्म देने वाले बच्चो को वार्ड मे मां के नाम से ही जानते हां. इस लिए मामले मे थोडा कनफ्यूजन हो गया था. मामले को निपटा लिया गया है.


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