छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहने वाली अमिता कुमार की पहचान आज पैड वुमन के तौर पर भी की जाती है. अमिता कुमार ने मैटर्निटी पैड की यूनिट लगाई है. अमिता पहले सेनेटरी पैड्स भी बनाती थी. अब उन्होंने मैटर्निटी पैड्स बनाना शुरू किया है. इस क्षेत्र में कदम रखने वाली अमिता कुमार छत्तीसगढ़ की पहली महिला है. अमिता कुमार ने कोयंबटूर में पैडमेन कहे जाने वाले श्री अरुणाचलम से मुलाकात थी. इस मुलाकात के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा परिवर्तन आया.

 

6 लाख का लोन लेकर शुरू किया काम

अमिता ने मैटर्निटी पैड पर काम करने की सोची. क्योंकि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है. सामान्य सैनेटरी पैड्स इसके लिए कारगर नहीं होते. अमिता ने गांधीग्राम इंस्टीट्यूट में इसकी ट्रेनिंग ली और फिर मैटर्निटी पैड बनाने वाली अल्ट्रा वायलेट मशीन ली. 6 लाख रुपये का लोन लेकर उन्होंने इसका सेटअप भी लगा दिया. अमिता कुमार आज चार महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.


 

अमिता कुमार बताती हैं कि एनजीओ ने सेनेटरी यूनिट तैयार करने का प्रस्ताव दिया था. सेनेटरी पैड बनाने के बाद उन्होंने मैटर्निटी पैड बनाने शुरू किये. अमिता के प्रोडक्ट की शासकीय अस्पतालों और प्राइवेट संस्थाओं में डिमांड है. इसके अलावा पाटन, धरसींवा और तिल्दा में भी उनका मैटर्निटी पैड की मांग है. उनकी यूनिट में हर महीने लगभग 7 हजार पैड्स बनाए जा रहे हैं. 

 

अमिता कुमार की संस्था में कुल पांच महिलाएं काम कर रही हैं. जिनकी उम्र 20-25 वर्ष है. अमिता ने बताया कि अपनी ट्रेनिंग के दौरान वो कोयंबटूर में सेनेटरी पैड की यूनिट देखने के लिए गई थी. वहां, उनकी मुलाकात रियल पेडमैन श्री अरुणाचलम मुरूगनंतम से हुई.

 

ये भी पढ़ें: