Chhattisgarh: मीसाबंदियों की रुकी पेंशन को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने जारी किया ये बड़ा आदेश
Misabandi Pension Case: आपातकाल के दौरान जेल में रहने वाले मीसाबंदियों (Misabandis) को बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court ) ने बड़ी राहत दी है.
Misabandi Pension Case: आपातकाल के दौरान जेल में रहने वाले मीसाबंदियों (Misabandis) को बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court ) ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) को बड़ा झटका देते हुए मीसाबंदियों की रुकी पेंशन जारी करने का आदेश जारी किया. हाईकोर्ट के फैसले से अब प्रदेश के सभी मीसाबंदियों को शेष राशि के साथ हर महीने पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
दरअसल, आपातकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में सैकड़ों लोग जेल गए थे. जिनके परिवार को आर्थिक रूप से सहारा देने के लिए बीजेपी की तत्कालीन सरकार ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि (Samman Nidhi) नियम 2008 बनाया था. लेकिन कांग्रेस सरकार में इस पेंशन योजना को बंद कर दिया गया. इस पर अब बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फिर से मीसाबंदियों की पेंशन सुविधा देने का आदेश दिया.
रमन सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक
कोर्ट में मीसाबंदियों के पक्ष में पैरवी कर रही अधिवक्ता सुप्रिया उपासने दुबे ने बताया कि शासन की सभी अपील को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने सभी मीसाबंदियों के रोके गए सम्मान निधि देने का आदेश हुआ है. बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने प्रतिक्रिया (Raman Singh Reaction) दी है. उन्होंने कहा कि 19 महीनों तक जेल में रहने से मीसाबंदियों का व्यवसाय, रोजी रोटी छिन गया. उनके जीवन भर की संपत्ति परिवार के खर्च में चली गई. इसलिए बीजेपी सरकार ने 2008 में मीसाबंदियो को पेंशन देने का निर्णय लिया था. लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही तुगलकी फरमान जारी हुआ. न्यायालय से फैसला आने के बाद आज ऐतिहासिक जीत हुई है. इसमें दूध का दूध और पानी का पानी हुआ.
'रमन सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक'
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) की तरफ से भी बयान आया है. संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि नैतिकता का सवाल तो आज भी खड़ा होता है. मीसाबंदियों को किस बात की पेंशन दी जाए. मीसाबंदी कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा वही लोग देते हैं जिनको स्वतंत्रता संग्राम से कोई लेना देना नहीं है. लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया गया. अब आंदोलन करने वाले को पेंशन दिया जाए. एक दल विशेष के लोगों को पेंशन दिया जाना एजेंडा था. हम विपक्ष में रहते हुए धान के समर्थन मूल्य के लिए आंदोलन चलाया था तो हमें भी स्वाधीनता संग्राम सेनानी के नाम से पेंशन दिया जाए. लेकिन ये तो अनुचित है. संघ का एजेंडा चलाने वालों को पेंशन दिया जाना जनता के धन का दुरुपयोग है.
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