Chhattisgarh  Election 2023: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पंजाब में सरकार बनाने के बाद अब उनकी नजर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) पर है. पिछले एक महीने से आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी  राज्य के कई जिलों के दौरा कर चुके हैं.  यही नहीं आम आदमी पार्टी के रोड शो में भी भारी भीड़ उमड़ रही है. इन सबके बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति गलियारों में ये चर्चा होने लगी है कि क्या ये भीड़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election) में वोट में तब्दील हो जाएगी और ऐसा हुआ तो क्या आम आदमी पार्टी गेम चेंजर हो सकती है?


दरअसल आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए 455 ब्लॉक अध्यक्ष बनाए है. पार्टी यहां अपने संगठन का तेजी से विस्तार कर रही है. इसके अलावा पार्टी ने पूरे प्रदेश में लोकसभा प्रभारी और लोकसभा सचिवों का एलान कर दिया है. साथ ही सभी जिलों में जिला प्रभारी और जिला सचिवों की भी घोषणा कर दी गई है. इसके साथ- साथ आम आदमी पार्टी यहां मार्च में कार्यकर्ता सम्मेलन करने जा रही है. पार्टी अभी से इसकी तैयारियों में भी जुट गई है. कार्यकर्ता सम्मेलन में अरविंद केजरीवाल को भी छत्तीसगढ़ आने का न्योता दिया जाएगा. इसी दिन छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी अपने विधानसभा चुनाव का आगाज करेगी.


छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा के दौरे पर AAP प्रदेश प्रभारी


आम आदमी पार्टी के लगातार संगठन विस्तार और सदस्यता अभियान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी 2023 विधानसभा चुनाव  पूरी ताकत से लड़ने वाली है. हालांकि पार्टी ने अब तक ये घोषणा नहीं की है कि वो कितनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन प्रदेश प्रभारी संजीव झा पूरे छत्तीसगढ़ के दौरे पर निकले हैं. संजीव झा ने बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग के दौरे कर चुके हैं. इसके बाद अब उनका दुर्ग संभाग का दौरा शुरू हो गया है. आखिरी में वो रायपुर संभाग के दौरे पर जाएंगे. इसके बाद ही पार्टी ये तय करेगी कि वो 90 में से कितनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और पार्टी के प्रत्याशी कौन होंगे? 


छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने की कोशिश


आप आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजीव झा ने चुनावी अभियान को लेकर मंगलवार को दुर्ग में मीडिया से कहा "सीएम  केजरीवाल की आप सरकार ने पूरी दिल्ली में सिर्फ 5 साल में बहुत से कार्य किए, फिर छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? दिल्ली में मुफ्त बिजली मिल रही है. बिजली के भाव बिल्कुल नहीं बढ़े हैं. सरकार वहां मुफ्त पानी भी दे रही है. वहां लोगों की स्वास्थ्य जांच भी मुफ्त हो रही है. साथ ही सरकार लोगों को मुफ्त दवाई भी दे रही है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ये सब अब भी कोसो दूर हैं क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस यहां सिर्फ झूठे वादे कर रही है. दोनों पार्टियां लोकलुभावन घोषणाओं को विज्ञापन तक ही सीमित रखते हैं. वो इन्हीं लोकलुभावन घोषणाओं के विज्ञापन के जरिए वोट लेना चाहते हैं."


 कांग्रेस को पहुंचा सकती है नुकसान


छत्तीसगढ़ के चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी की एंट्री पर राजनीतक पंडितों का कहना है कि राज्य में सबसे मजबूत पार्टी कांग्रेस है. इसके बाद बीजेपी, जेसीसीजे और बहुजन समाज पार्टी है. लेकिन आम आदमी पार्टी से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. क्योंकि 90 में से 71 विधायक कांग्रेस के ही हैं. आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत बढ़ने से कांग्रेस के वोट कट सकते हैं. इससे दूसरी पार्टियों को फायदा मिल सकता है. ये गुजरात चुनाव में भी देखने को मिला था. गुजरात में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. राजनीतक पंडितों ने ये भी बताया कि 2018 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट एक फीसदी से भी कम रहा है. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ में झाड़ू चलने के आसार कम है.


आदिवासी बेल्ट में AAP  का फोकस 


गौरतलब है कि बस्तर और सरगुजा संभाग कांग्रेस का गढ़ है. इन दोनों संभाग की 26 सीट पर कांग्रेस की एकतरफा जीत है. ये इलाका ट्राइबल बेल्ट में आता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण घटने पर वो नाराज हैं. इसके अलावा बस्तर और सरगुजा संभाग में धर्मांतरण के मामले पर भी राजनीति तेज है. इस पर भी सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर है. खासकर आम आदमी पार्टी आदिवासियों के वोट बैंक को साधने की कोशिश में है. राज्य में बस्तर के आदिवासी नेता कोमल हुपेंडी को आम आदमी पार्टी ने प्रदेश है. पिछले साल पार्टी ने मुख्यमंत्री प्रत्याशी भी कोमल हुपेंडी को बनाया गया था. 


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