Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: एक और प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) प्रदेश में अपनी सरकार के 4 साल के कार्यकाल पूरा होने पर प्रदेश की जनता को अपनी उपलब्धि बताते नहीं थक रहे है. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के मनेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक डॉ. विनय जायसवाल (Dr. Vinay Jaiswal) स्वेच्छा अनुदान राशि के बंदरबाट को लेकर एक बार फिर से सुर्खियों में है. पूर्व में स्वेच्छानुदान की राशि महिला कांग्रेस नेत्रियों को बांटने के बाद अब विधायक ने कांग्रेस नेताओं, युवा कांग्रेस पदाधिकारी, एनएसयूआई नेताओं और ऐसे लोगों को स्वेच्छानुदान की राशि बांट दी है, जिन पर स्वेच्छानुदान की राशि का हक ही नहीं बनता.
विवादों से हैं पुराना नाता
मनेंद्रगढ़ विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी को क्षेत्र की जनता ने इस विश्वास के साथ विजई बनाया था कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के सुख-दुख के सहभागी बनेंगे, लेकिन लोगों को क्या पता था कि विधायक बनने के बाद विधायक फिर पुराने ढर्रे पर चलने लगेंगे. पुलिस चौकियों में प्रभारी नियुक्त करने और 4 दर्जन से ज्यादा विधायक प्रभारी बनाने के बाद मनेन्द्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल फिर विवादों में है.
अपनों पर रहम, गरीबों पर...
दरअसल, मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को देना होता है. विधायक की अनुशंसा पर पार्टी कार्यकर्ताओं व पत्रकारों को गरीब बता कर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान दे दिया गया, जबकि इनमें से कुछ लोग लखपति और करोड़पति की हैसियत रखते है. मनेंद्रगढ़ से विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने अपने सह मीडिया सलाहकार पीयूष ताम्रकार, पूर्व पार्षद श्रीपत राय को 5 हजार, युवक कांग्रेस जिला महामंत्री नूर आलम आजमी को 5 हजार, कांग्रेस नेता सुधीर अग्रवाल को 5 हजार, एनएसयूआई जिला संयोजक निखिल यादव को 5 हजार, राजधानी रायपुर में विधायक का कामकाज देख रहे आकाश बरनवाल के पिता श्री राम बरनवाल को 5 हजार, कम्प्यूटर कॉलेज के संचालक के बेटे उज्ज्वल सिंह को 10 हजार और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता को जनसंपर्क निधि की राशि बांट दी है.
शासन के निर्देशों की भी अनदेखी
इसमें सरकारी राशि व्यय करने में शासन के निर्देशों की भी अनदेखी की जा रही है. विधायक विनय जायसवाल ने महिला कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष, महिला कांग्रेस कार्यकर्ता को जनसंपर्क निधि बांट दी. सूची में ऐसे नाम भी शामिल है, जो धनाढ्य वर्ग से हैं और उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत ही नहीं है. इसके अलावा, मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान निधि से विधायक ने अपने विज्ञापन का पेमेंट पत्रकारों को आर्थिक रूप से कमजोर बता कर करवा दिया.
पहले भी आए थे विवादों में
इससे पहले भी विधायक विनय जायसवाल ने स्वेच्छा अनुदान की राशि रेवड़ी की तरह बांटी थी. विधायक द्वारा महिला बाल विकास विभाग में बनाई गई विधायक प्रभारी शगुफ्ता बख्श को 20 हजार रुपए की राशि जनसंपर्क निधि से शिक्षा के लिए दी गई. जबकि शगुफ्ता बख्श कही अध्ययनरत ही नहीं है. इतना ही नहीं, शगुफ्ता बख्श के पति एसईसीएल कर्मचारी है. विधायक ने एल्डरमैन रूमा चटर्जी को भी 10000 रुपये की आर्थिक सहायता दी थी. रूमा चटर्जी के पति रेलवे कर्मचारी है.
नियम के मुताबिक ये है प्रावधान
गरीब या जरूरतमंदों को आकस्मिक आर्थिक मदद के लिए विधायकों को स्वेच्छानुदान व जनसंपर्क निधि जारी करने का अधिकार दिया गया है. विधायक इसका इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए कर सकते हैं. इसके अलावा खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न क्लबों व मंडलियों को उनके नाम से निधि जारी करने का अधिकार दिया गया है.
विधायक ने आरोपों को किया खारिज
इस संबंध में विधायक डॉ. विनय जायसवाल का कहना है कि ये कौन तय करेगा कि किसको जरूरत है और किसको नहीं. उन्होंने कहा कि ये तो वो तय करेगा जिसको जरूरत है, जिसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, जिसको फायदा हुआ है. जिनको भी स्वेच्छा अनुदान राशि मिली है, सब जरूरतमंद लोग है.
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