Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: छत्तीसगढ़ की मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट से विधायक विनय जायसवाल पर अनुदान राशि का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है. सोशल मीडिया पर भी विनय जायसवाल पर लोग तरह-तरह के तंज कसते हुए नजर आ रहे हैं. पत्रकार को दी गई स्वेच्छा अनुदान राशि का मामला एक बार फिर तूल पकड़ रहा है. दरअसल, विधायक विनय जायसवाल बिन बोले, बिना आवेदन दिए ही पत्रकार पर मेहरबान हो गए और स्वेच्छा अनुदान राशि से पांच हजार रुपए का चेक पत्रकार के नाम पर काट दिया. हालांकि, पत्रकार ने तुरंत चेक वापस भी कर दिया.


आवेदन देने के बाद दोबारा उठा मामला
अब ये मामला दोबारा उठा है. दरअसल, पत्रकार ने कलेक्टर को आवेदन देकर शिकायत की है कि जब उसने स्वेच्छा अनुदान का चेक लौटा दिया और स्वेच्छानुदान मांगा ही नहीं तो फिर स्वेच्छानुदान प्राप्त करने वालों की लिस्ट से उसका नाम क्यों नहीं हट रहा है.


दिवाली मिलन समारोह की घटना
पूरा मामला मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र का है. महीनों पहले विधायक विनय जायसवाल ने दिवाली मिलन समारोह का आयोजन किया था. बताया जा रहा है कि इस दौरान विनय जायसवाल ने स्वेच्छा अनुदान से चेक दिए. वे 5-5 हजार रुपए के चेक का वितरण कर रहे थे. पत्रकार रविकान्त का दावा है कि विधायक ने बिना बोले और बिना आवेदन लगाए ही स्वेच्छा अनुदान राशि का वितरण शुरू कर दिया. इसका विरोध करते हुए तत्काल उन्होंने स्वेच्छा अनुदान राशि का चेक वापस कर दिया था.


कलेक्टर के पास दिया आवेदन
इस मामले में पत्रकार रविकान्त सिंह ने कोरिया कलेक्टर के पास भी आवेदन दिया. आवेदन में पत्रकार ने अपना पूरा परिचय दिया. बताया कि उसने किसी भी तरीके से विधायक से अनुदान राशि की मांग नहीं की थी. इसके बाद भी विधायक विनय जायसवाल ने उसे अनुदान राशि का चेक दे दिया था. उन्होंने विधायक को चेक तत्काल वापस भी कर दिया था. पत्रकार ने कलेक्टर से अनुरोध किया था कि उसके नाम पर जारी चेक को निरस्त कर दिया जाए और अनुदान राशि की सूची से नाम भी विलोपित किया जाना चाहिए.


चेक पर मेरा हक नहीं कहते हुए लौटाया
पत्रकार रविकांत सिंह का कहना है कि दिवाली मिलन समारोह का आयोजन कर विधायक विनय जायसवाल ने सभी पत्रकारों को अपने कार्यालय में बुलाया था और वहां पर पत्रकारों को 5 हजार का स्वेच्छा अनुदान राशि का चेक वितरण किया गया था. जब मुझे ये चेक मिला तो मैंने यह कहते हुए लौटा दिया था कि इस चेक पर मेरा हक नहीं है. विधानसभा के उन लोगों का हक है, जो पढ़ाई और अन्य चीजों से वंचित हैं.


पत्रकार रविकांत ने क्या कहा
मामला लगभग एक साल पुराना है. मैंने चेक तुरंत ही विधायक को लौटा दिया था. इसके साथ ही मैंने कलेक्टर को भी आवेदन दिया था कि मेरा नाम अनुदान राशि की लिस्ट से विलोपित कर दिया जाए, लेकिन आज तक मेरा नाम उस सूची से नहीं हटाया गया. मैंने कलेक्टर महोदय से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द मेरा नाम अनुदान राशि की सूची से हटा दिया जाए.


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