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Bilaspur News: बेटी की शादी के लिए शख्स ने इकट्ठा किए थे जेवर, पत्नी ने बिना बताए रख दिए गिरवी, जानें कोर्ट ने क्या कहा?
Bilaspur News: बिलासपुर में एसईसीआर में गार्ड का काम कर रहे एस. राजू की शादी शहडोल की एस. रानी के साथ 1986 में हुई थी. इसके बाद उनको एक बेटा और एक बेटी हुई, लेकिन 2011 के बाद पत्नी अपने मायके चली गई.
(फाइल फोटो)
Bilaspur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में एक अहम फैसला हुआ है. तलाक की एक अर्जी पर कोर्ट ने तलाक डिग्री मंजूर किया है. साथ ही कड़ी टिप्पणी की है. दरअसल पति ने सालों की कमाई से बेटी के शादी के लिए जेवर इकट्ठे किए थे. इसे पत्नी ने पति को बिना जानकारी दिए बाजार में गिरवी रख दी. इस मामले को बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति साथ क्रूरता माना है. दरअसल रेलवे गार्ड ने अपने वेतन से पैसे जमा कर बेटी की शादी के लिए जेवर इकट्ठे किए थे. लेकिन उसकी पत्नी 2011 में पति से अलग हुई और उसकी जानकारी के बैगर पूरे ज्वेलरी गिरवी रखकर बाजार से 10-12 लाख रुपए लोन ले लिया.
इस मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने फैसला सुनाया है. उन्होंने इनकी तलाक को मंजूर कर लिया है. आपको बता दें कि बिलासपुर में एसईसीआर में गार्ड का काम कर रहे एस. राजू की शादी शहडोल की एस. रानी के साथ 1986 में हुई थी. शादी के बाद उनको एक बेटा और एक बेटी हुई, लेकिन 2011 के बाद पत्नी अपने मायके चली गई. पति ने कोर्ट को बताया कि पत्नी को वापस लाने के लिए बेटे और बेटी को भेजा, लेकिन वह वापस नहीं आई. इस दौरान पति को पता चला कि पत्नी ने बिना जानकारी दिए बेटी की शादी के लिए सालों तक इकठ्ठा किए जेवरात को गिरवी रखकर बाजार से 10-12 लाख रुपये लोन ले लिया है.
फैमली कोर्ट ने आवेदन कर दिया था खारिज
इसके बाद पति ने तलाक लेने का फैसला किया. साथ ही बिलासपुर फैमली कोर्ट में तलाक के लिए अपील भी कर दी, लेकिन कोर्ट ने 6 जुलाई 2017 को आवेदन खारिज कर दिया. फिर एस. राजू ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई. इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने बेटी की शादी के लिए इकठ्ठा किए गए ज्वेलरी को पति को जानकारी दिए बिना गिरवी रखकर लोन लेना और पैसे खर्च करने, साथ ही बैगर किसी आधार के पति पर अवैध संबंध का आरोप लगाकर समाज में छवि खराब करने की पति के साथ क्रूरता माना है. इस मामले में कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1) तहत विवाह -विच्छेद की डिग्री मंजूर की है.
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