भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में राम के धुन में रमने के लिये राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. इसमें प्रदेशभर के रामायण मंडली हिस्सा लेंगे. ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित है. प्रदेशभर में बेहतर प्रदर्शन करने वाली मंडली को लाखों रुपए का प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा. 


दरअसल छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने छत्तीसगढ़ की रामायण मंडलियों के कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन और कलादलों को प्रोत्साहित करने के लिए ’रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना ’ प्रारंभ की है. बता दें कि 10 अप्रैल को रामनवमी का त्योहार है. 


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इस योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रामायण मंडलियों की प्रतियोगिता का आयोजन प्रारंभ हो गया है. इसके लिए कार्यक्रम जारी हो चुके हैं. ग्राम पंचायत स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित होने के बाद ब्लॉक स्तर पर अब आयोजन चल रहे हैं.


संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिला स्तर पर 03 से 05 अप्रैल तक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. इसके बाद जांजगीर-चांपा जिले में स्थित तीर्थ नगरी शिवरीनारायण में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन 8 से 10 अप्रैल तक किया जाएगा. 


भगवान राम को भांजे के रूप में पूजते हैं छत्तीसगढ़वासी


इतिहासकार बताते हैं कि एक समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल कहा जाता था. भगवान राम, उनकी माता मां कौशल्या का छत्तीसगढ़ से ऐतिहासिक संबंध है. मान्यता है कि भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म और लालन-पालन छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में हुआ था और इसलिए सदियों से छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को भांजे के रूप में मानकर पूजते हैं. वहीं इतिहासकार बताते हैं कि भगवान राम, सीता माता और लक्षण अपने वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के जंगलों में अधिकांश समय बिताए हैं.


जानें पुरस्कार की राशि


संस्कृति विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त करने वाले दल को 5 लाख रुपये, दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 3 लाख रुपये और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले दल को 2 लाख रुपये की राशि पुरस्कार दी जाएगी.


वहीं ग्राम पंचायत स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 5 हजार रुपये, ब्लॉक स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 10 हजार रुपये और जिला स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने वाली रामायण मंडली को 50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.


250 से 300 रामायण मंडली होंगी शामिल


गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में वर्षों से सप्ताहिक रामायण, सवनाही रामायण, नवधा रामायाण, रामायण प्रतियोगिता की परंपरा चली आ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों के कलाकार लोक पारंपरिक शैली में श्रीराम चरितमानस पर आधारित कथानक को कलाकार समूहों द्वारा भजन कीर्तन, व्याख्या के माध्यम से प्रचलित शैली में प्रदर्शित करते हैं, जिसमें प्रमुख वाद्ययंत्र हारमोनियम, तबला, ढोलक, मंजीरा, झुमका का उपयोग किया जाता है. वहीं इस वर्ष राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में लगभग 250 से 300 रामायण मंडली शामिल होंगी. 


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