Chhattisgarh News: अपने काम के दम पर बना चुकी हैं अलग पहचान, जानिए उन नारी शक्तियों की सफलता की कहानी
Durg News: आज हम आपको ऐसी ही नारी शक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने काम के दम पर समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है.
Chhattisgarh Mushroom Button: आज से पूरे देश में चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. मां दुर्गा को नारी शक्ति के रूप में भी देखा जाता है. जो लोग यह समझते हैं कि महिलाएं पुरुषों से पीछे हैं. उन लोगों की समझ को दूर करते हुए महिलाओं ने ऐसा काम किया है. इन नारी शक्ति की चर्चा पूरे गांव से लेकर प्रदेश में हो रही है. ये महिलाएं अपने काम के दम पर अपनी अलग पहचान बना चुकी है.
मशरूम का उत्पादन करके कमा रही अच्छी आमदनी
दरसअल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बड़े पैमाने में बटन मशरूम की खेती शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को बटन मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसी कड़ी में ग्राम तेलीगुण्डरा की सखी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं मिलकर बटन मशरूम उत्पादन करने का बीड़ा उठाया और बटन मशरूम का उत्पादन करके अच्छी आमदनी कर रही है.
भवन में उत्पादन किया जा रहा मशरूम
सखी समूह की महिलाओं को एक उपयुक्त स्थान की आवश्यकता थी. जहां बटन मशरूम को उपयुक्त वातावरण, बिजली, पानी प्राप्त हो सके. जिसके लिए ग्राम पंचायत के सरपंच ने भवन को मशरूम उत्पादन करने के लिए दिया. बटन मशरूम की खेती के लिए ठंडी जलवायु की जरूरत होती है. इसे सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है. मशरूम की उपज के लिए 20-30 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है. तापमान को संतुलित करने के लिए वातानुकूलित उपकरण का उपयोग किया जा रहा है.
सखी स्व सहायता समूह की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
सखी स्व सहायता समूह में कुल 12 महिलाएं है जो मशरूम उत्पादन के कार्य में सहयोग कर रही है. शुरू में 45 बैग बटन मशरूम उत्पादित कर लोकल मार्केट में विक्रय कर सालाना 80 हजार रुपये की शुद्ध आय प्राप्त कर रही हैं. इससे स्व सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और महिलाओं को रोजगार मिला. समूह की महिलाएं इस कार्य को 2021 से कर रही है. सखी स्व सहायता समूह की महिला ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अधिकारियों ने उन्हें बटन मशरूम उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया और आज उनकी वजह से सखी स्व सहायता समूह की महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं.
अब नारी शक्ति देती है ट्रेंनिग
समूह द्वारा चक्रीय निधि के रूप में 15 हजार रूपए की राशि प्राप्त कर समूह के सदस्यों ने घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में उपयोग किया जा रहा है. समूह की महिलाएं इतनी सशक्त और आत्मनिर्भर हो गई है की वह मास्टर ट्रेनर के रूप में अन्य ग्राम पंचायतों के स्व सहायता समूहों को प्रशिक्षण दे रही है.
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