Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ की राजनीति में होगा बड़ा खेल? नंद कुमार साय के कांग्रेस में आने से ऐसे बदल सकते हैं समीकरण
Nand Kumar Sai 1980 में बीजेपी ने रायगढ़ जिला इकाई प्रमुख नियुक्त किया. वह 1985 और 1998 में तपकरा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक चुने गए.
Nand Kumar Sai News: भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे नंद कुमार साय, सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके से आने वाले साय वर्षों तक बीजेपी का प्रमुख आदिवासी चेहरा रहे हैं. वह पहली बार वर्ष 1977 में अविभाजित मध्य प्रदेश के तपकरा विधानसभा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी की टिकट पर विधायक चुने गए थे.
उन्हें 1980 में बीजेपी ने रायगढ़ जिला इकाई प्रमुख नियुक्त किया. वह 1985 और 1998 में तपकरा विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक चुने गए.
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को आधार देने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लखीराम अग्रवाल के करीबी रहे साय एक समय पार्टी के ‘पोस्टर बॉय’ माने जाते थे. वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद नेता प्रतिपक्ष नियुक्त होते ही वह राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे.
राज्य में जब पहली बार 2003 में विधानसभा का चुनाव हुआ तब उन्होंने अपनी परंपरागत सीट तपकरा से नहीं लड़कर मुख्यमंत्री जोगी के खिलाफ मरवाही से चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि वह इस चुनाव में हार गए लेकिन राज्य में पार्टी की सरकार बन गई.
साय अक्सर कहते थे ये बात
साय अक्सर कहते थे कि उन्होंने पार्टी से दो स्थानों पर चुनाव लड़ने की मांग की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें केवल मरवाही से ही चुनाव लड़वाया. इससे जोगी मरवाही में सिमट कर रह गए.
राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद साय राज्य की राजनीति में वापस नहीं आ सके. वह समय समय पर अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी भी जाहिर करते रहे. रविवार को बीजेपी से इस्तीफा देने और दूसरे दिन ही कांग्रेस पार्टी का दामन थामने के कारण बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.
राज्य में पार्टी से नाराजगी के चलते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला के बाद यह दूसरी बार है कि कोई कद्दावर नेता ने कांग्रेस में प्रवेश किया है.
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में साय जैसे बड़े नेता के कांग्रेस में शामिल होने से बीजेपी को सरगुजा क्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी एस सिंहदेव की नाराजगी के चलते बीजेपी उम्मीद लगाये बैठी है.