Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) की करारी हार के बाद पार्टी में एक के बाद इस्तीफे दौर चल रहा है. चुनाव के ठीक पहले बीजेपी छोड़कर नंद कुमार साय (Nand Kumar Sai) कांग्रेस में आए थे. लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी और न ही नंद कुमार साय को पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया था. इसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनते ही नंद कुमार साय ने यूटर्न ले लिया है. कांग्रेस में सात महीने रहने के बाद ही नंद कुमार से साय ने इस्तीफा दे दिया. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि साय फिर से बीजेपी (BJP) में वापसी कर सकते है.


1 मई 2023 तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में नंद कुमार साय ने रायपुर में बड़े धूमधाम से कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. इसके बाद नंद कुमार साय कांग्रेस के सभी बड़े प्रोग्राम में शामिल हुए. सरकारी कार्यक्रमों में पूरे चुनाव भर साय भूपेश बघेल के साथ रहे. बघेल ने साय को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का चेयरमैन बनाया था. लेकिन अब कांग्रेस की हार के बाद साय ने यूटर्न लेते हुए बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को इस्तीफा भेज दिया है.


बीजेपी में फिर आ सकते है नंदकुमार साय 
नंद कुमार साय ने अपने इस्तीफा में लिखा है कि ''कुछ समय पहले किन्हीं स्थितियों के कारण मैंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, कुछ दिनों तक पार्टी में रहकर निष्ठा पूर्वक कार्य भी किया. मेरे सामने जो परिस्थितियां उपस्थित हुई है, उसे देखकर मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्य से त्याग पत्र दे रहा हूं.'' साय के इस पत्र के बाद 13 दिसंबर की चर्चा फिर हो रही है. क्योंकि साय ने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को बधाई देने पहुंचे थे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार साय को बीजेपी में फिर से वापस लाने के लिए बातचीत हुई थी. माना जा रहा है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से अनुमति मिलने के बाद साय बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं.


नंदकुमार साय ने यह कहते हुए बीजेपी से दिया था इस्तीफा 
30 अप्रैल को नंद कुमार साय ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी के सभी जिम्मेदारियों से खुद को अलग कर दिया था. इसके अगले दिन 1 मई को नंद कुमार साय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी. इस दौरान नंद कुमार साय ने कहा था कि ''अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं. अटल बिहारी वाजपेयी को फॉलो करता था. अटल आडवाणी के दौर की जो बीजेपी थी, वो पार्टी अब उस रूप में नहीं है. परिस्थितियां बदल चुकी हैं.''


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