Chhattisgarh News: बस्तर (Bastar) पिछले चार दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. बस्तर में ऐसे भी ग्रामीण इलाके हैं, जहां के सैकड़ों ग्रामीण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले पीडीएस चावल के लिए कई तकलीफों का सामना करते हैं. यहां हर महीने सरकार की राशन दुकान से चावल पाने के लिए ग्रामीणों को न केवल 30 से 40 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है, बल्कि रास्ते में पड़ने वाले नदी नालों को भी जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ता है.
यहां के ग्रामीण पिछले चार दशकों से इस राशन के चावल पर निर्भर रहकर ही अपना पेट भर रहे हैं. यही नहीं ग्रामीण पेट भरने के कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में हजारों आदिवासी ग्रामीण रहते हैं. यह ग्रामीण विकास से कोसों दूर हैं. यहां ग्रामीणों को अपना पेट भरने के लिए भी हर महीने कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही ये सरकार की योजना के तहत चावल पाने के लिए भी कई समस्याओं से जूझते हैं.
चावल लेने के लिए 30 से 40 किमी आते हैं ग्रामीण
नारायणपुर और दंतेवाड़ा में तीनों ही जगहों पर अलग-अलग पंचायत के गांव के लिए राशन की दुकानें बनाई गई हैं. इन राशन दुकानों तक पहुंचने के लिए अंदरूनी क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को लगभग 30 से 40 किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ता है. इस 30 से 40 किलोमीटर के रास्ते में नदी पहाड़ और छोटे छोटे नालों को पार कर ग्रामीण काफी जद्दोजहद करने के बाद राशन दुकानों तक पहुंच पाते हैं. अगर किसी कारणवश उन्हें चावल नहीं मिल पाता है, तो उन्हें ऐसे ही वापस लौटना पड़ता है.
नारायणपुर में भी ग्रामीण पंचायत की राशन दुकानों पर निर्भर
कहा जा सकता है कि अगर ग्रामीणों को राशन मिलना बंद हो जाए तो यहां के हजारों ग्रामीण अनाज के एवज में भूखे रह जाएंगे. नारायणपुर जिले के हांदावाड़ा, एरपुंड और हर्राकोडेर के ग्रामीण दंतेवाड़ा में पड़ने वाली पंचायत की राशन दुकानों पर निर्भर हैं, जबकि नारायणपुर जिले के अंतर्गत आने वाले भी दर्जनों ऐसे गांव हैं जो यहां की अंदरूनी इलाकों में पड़ने वाली पंचायत की राशन दुकानों पर निर्भर हैं.
दोनों जिलों के कलेक्टरों का कहना है कि ग्रामीणों को अपनी राशन के लिए ज्यादा जद्दोजहद ना करना पड़े, इसके लिए प्रशासन की ओर से भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से इन इलाकों में अब तक सड़क और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. इस वजह से पीडीएस का चावल पाने के लिए ग्रामीणों को काफी मुश्किलात का करना पड़ता है, लेकिन सभी पीडीएस दुकानों में सख्त निर्देश दिया गया है कि इन ग्रामीणों को किसी भी महीने चावल से वंचित नहीं किया जाए.
कई सालों से बनी हुई है समस्या
दोनों जिलों के कलेक्टरों ने कहा कि, कोशिश की जा रही है कि इन इलाकों में जैसे ही नक्सली धीरे-धीरे बैकफुट पर आते हैं, तो निश्चित तौर पर इन इलाकों का विकास कर गांव-गांव तक राशन की दुकान खुलवाई जाएगी, ताकि ग्रामीणों को सरकार की तरफ से मिलने वाले पीडीएस चावल के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर मुसीबतों का सामना ना करना पड़े. बता दें कि, यह समस्या कई सालों से बनी हुई हैं. कई ग्रामीणों को उनके गांव तक सरकार का फ्री चावल और योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा.
इसके अलावा कांकेर जिले में भी अंदरूनी क्षेत्रों के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों का भी यही हाल है. इन गांवों में राशन रखने के लिए गोदाम तो बना दिया गया है, इन गोदामों तक पीडीएस वितरण प्रणाली के तहत राशन से भरा वाहन ही नहीं पहुंच पाता. ग्रामीणों का कहना है कि दंतेवाड़ा और नारायणपुर की तरह कांकेर जिले के भी अंदरूनी इलाकों से करीब 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण राशन लेने पहुंचते हैं, लेकिन राशन नहीं आने की बात कहते हुए उन्हें वापस भेज दिया जाता है. लगातार इस समस्या से सभी ग्रामीण हताश हो चुके हैं.
ये भी पढ़ें- Bijapur Fire Breaks: बीजापुर में गर्ल्स हॉस्टल में लगी भीषण आग, इलाके में अफरातफरी