Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के आत्महत्या (Suicide) करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 10 महीनों में ही 6 से अधिक जवानों ने अलग-अलग कारणों से अपने सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है. गुरुवार को भी छत्तीसगढ़ के नारायणपुर (Narayanpur) जिले में कोहकामेटा थाना में पदस्थ जिला पुलिस बल के हेड कांस्टेबल अरुण उइके ने खुद की सर्विस राइफल से बैरक में गोली मारकर आत्महत्या कर ली. 


हालांकि जवान ने आत्महत्या क्यों की इसके कारणों का अब तक पता नहीं लग पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जवान तनाव में था और गुरुवार को उसने इस तरह का कदम उठाया. हेड कांस्टेबल अरुण उइके छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का रहने वाला था. फिलहाल नारायणपुर पुलिस आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में जुटी हुई है.


तनाव में था जवान
नारायणपुर एसपी सदानंद कुमार ने बताया कि, जिले के कोहकामेटा थाना में सभी जवान अपने-अपने बैरक में मौजूद थे, तभी अचानक गोली चलने की आवाज आई. थाना में पदस्थ जवानों ने जब एक बैरक में देखा तो हेड कांस्टेबल अरुण उइके ने अपने सर्विस राइफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. जवान को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन इससे पहले ही मौत हो गई थी. 


एसपी ने आगे बताया कि, हालांकि जवान के पास से किसी तरह का कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है. अन्य जवानों से पूछताछ में पता चला कि 2 दिन से जवान तनाव में था और गुरुवार को उसने बड़ा कदम उठाया. फिलहाल जवान ने आत्महत्या क्यों की इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है. शव के पोस्टमार्टम के बाद पार्थिव शरीर को उनके गृह ग्राम भेज दिया गया है. हेड कांस्टेबल अरुण उइके पिछले कुछ सालों से कोहकामेटा थाना में पदस्थ था. 


सुसाइड का सिलसिला
गौरतलब है कि बस्तर संभाग के अलग-अलग नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ सीआरपीएफ के साथ ही जिला पुलिस बल के 6 से अधिक जवान पिछले 10 महीनों में अलग-अलग वजह से अपने ही सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर चुके हैं. इस तरह जवानों में बढ़ते आत्महत्या को देखते हुए बस्तर पुलिस ने जवानों के लिए बस्तर संभाग में स्पंदन अभियान भी चलाया है ताकि डिप्रेशन में रहने वाले जवानों को तनाव से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाया जा सके और सभी जवानों को मेंटली प्रिपेयर रखा जा सके. हालांकि इस योजना के तहत संभाग के अंदरूनी इलाकों में प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन जवानों के आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा.


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