Narayanpur: धर्मांतरण करने वाले आदिवासी समुदाय को नहीं मिले आरक्षण, महापंचायत की मांग
Chhattisgarh News: ग्रामीणों से आदिवासी संस्कृति को बचाने और धर्मांतरण का विरोध करने की अपील की गई. समाज के लोगों ने कहा कि बस्तर को धर्म विशेष की भूमि नहीं बनने दी जाएगी.
Bastar Division News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी जनजाति सुरक्षा मंच ने ऐसे आदिवासी समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं देने की मांग की है जिन्होंने धर्मांतरण कर दूसरा धर्म अपना लिया. दरअसल बस्तर के अंदरूनी गांव में तेजी से हो रहे धर्मांतरण के विरोध में नारायणपुर (Narayanpur) जिले में बस्तर संभाग के अन्य 2 जिलों के भी हजारों की संख्या में आदिवासी इकट्ठा होकर महापंचायत की. उन्होंने ग्रामीणों से आदिवासी संस्कृति को बचाने और धर्मांतरण का विरोध करने की अपील की.
आदिवासी समाज के प्रमुखों ने कहा कि बस्तर संभाग में अपना मूल धर्म छोड़कर आदिवासी तेजी से धर्मांतरण कर रहे हैं, जिस वजह से आदिवासी संस्कृति नष्ट हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे में जो भी आदिवासी समुदाय के लोग अपने धर्म, संस्कृति, रीति-रिवाज को छोड़कर दूसरे धर्म को अपना रहे हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से आरक्षण का लाभ मिलना बंद होना चाहिए.
धर्मांतरण को लेकर आदिवासी समाज में आक्रोश
जनजाति सुरक्षा मंच और महापंचायत के प्रवक्ता पूर्व विधायक भोजराज नाग ने बताया कि जो अपनी संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज, पेन-पुरखा को छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं वह पूरी तरह से फर्जी लोग हैं. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति आदिवासी होकर उस धर्म को अपनाता है उसे किसी भी प्रकार से आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि समाज के जनप्रतिनिधियों, गायता, पटेल, पुजारी को एकजुट होकर धर्मांतरित परिवारजनों को आदिवासी समाज से मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने के लिए आवाज बुलंद किया जाना चाहिए.
जानें समाज के लोगों ने क्या कहा?
समाज के लोगों का कहना है कि जो पेन नार व्यवस्था को नहीं मानेगा और स्थानीय देवी-देवता, आदिवासी परंपरा संस्कृति का अपमान करेगा, उसे यहां पर रहने और घूमने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर यहां रहना हो तो पेन पुरखा आदिवासी संस्कृति को मानना होगा. समाज के लोगों ने बताया कि बैठक में बस्तर के सुदूर इलाकों में धर्म विशेष द्वारा आदिवासियों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया जा रहा है. इससे गांवों में सद्भाव बिगड़ने लगी है, साथ ही आदिवासी संस्कृति भी नष्ट हो रही है. धर्मांतरण के विरोध में बुलाए गए महापंचायत में मौजूद लोगों ने एक सुर में कहा कि बस्तर को धर्म विशेष का भूमि बनने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए गांव-गांव और परगना स्तर पर विरोध किया जाएगा.