Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ में आजादी के 75 साल बाद शासन की किसी योजना का लाभ यहां के ग्रामीण को मिल पाया है. अबूझमाड़ की आबादी 80 हजार की बताई जाती है. पिछले कुछ वर्षों में पुलिस यहां पहुंच बना सकी है और नक्सली बैकपुट पर आए हैं. जिला प्रशासन अबूझमाड़ में सरकारी योजनाओं का लाभ पहुचाने की कोशिश में जुटा है.


हाल में मुख्यमंत्री द्वारा अबूझमाड़ के लगभग 2500 ग्रामीणों को मसाहती पट्टा वितरण करने के बाद पहली बार ओरछा में रहने वाले किसान सुमन लाल उसेंडी के खेत में अब सोलर पंप लगाया गया है. इस पंप के लगने से पूरे गांव के ग्रामीण खुश हैं. पंप से पानी निकलते ही सभी गांववासी झूम उठे क्योंकि यह पहला मौका है जब गांववालों ने अबूझमाड़ के गांव के किसी किसान के खेत में सोलर पंप देखा है.


ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अपने खेत में फसल उगाने के लिए सिर्फ मॉनसून के मौसम पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इस वजह से केवल 2 से 3 महीने ही धान उगा पाते हैं और पानी नहीं होने की वजह से दूसरी और कोई फसल नहीं कर पाते है. ग्रामीणों ने कहा कि न ही उनके पास कोई साधन है और न ही तकनीकी खेती किसानी करने के लिए कोई जानकारी. ऐसे में उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. किसान सुमन लाल ने बताया कि उसके खेत में सोलर पंप लगने से वह 12 महीनों फसल उगा सकेगा, जिससे उसे अच्छी आय भी होगी, अब उसे मानसून पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.


58 गांवों में हुआ सर्वे का काम 


दरअसल, अबूझमाड़ में जिला प्रशासन अधिसूचित 246 गांवों का मसाहती सर्वे करा रहा है, जिससे पता चल सके कि किसके खेत की सीमा कहां तक है. नारायणपुर कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया अब तक 58 गांवों का सर्वे हो गया है, जहां  2500 किसानों को मसाहती खसरा दिया जा चुका है. इस सर्वे से राजस्व रिकॉर्ड बनाने में सहायता मिलेगी और शासकीय योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच पायेगा. किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का भी वितरण किया जा रहा है जिससे अब वे बैंक से लोन ले पाएंगे.


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अबूझमाड़ में योजनाएं पहुंचाने में जुटा प्रशासन


गौरतलब है कि घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों के बीच लगभग पांच हजार वर्ग किलोमीटर में अबूझमाड़ बसा है, जिसके बारे में अब तक कहा जाता रहा है कि इस इलाके को कोई बूझ नहीं पाया है. यही वजह रही कि आजादी के 75 साल बाद भी यहां सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पायीं है लेकिन अब इस इलाके में तेजी से सर्वे किया जा रहा है.


यहां के किसानों को मसाहती खसरा मिलने से अब सोसायटी में पंजीयन हो सकेगा और किसान अपना धान खरीदी केंद्रों में बेच पाएंगे. इसके अलावा किसानों के खेत में अब डबरी निर्माण, सिंचाई के लिए सोलर पंप की सुविधा, कृषि और उद्यानिकी की योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश भी प्रशासन द्वारा की जा रही है. इसके अलावा किसानों के खेत में ड्रीप लाईन बिछाये जाने की योजना भी बनाई जा रही है.


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