Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में लंबे समय से माओवादी संगठन में सेंट्रल कमेटी मेंबर रहे नक्सली नेता गजराला सत्यनारायण रेड्डी उर्फ गोपन्ना मरकाम को शनिवार को सभी आरोपों से बरी करते हुए केंद्रीय जेल जगदलपुर से रिहा कर दिया गया है. पुलिस उनके ऊपर लगे 18 से अधिक मामलों में से एक भी मामला सिद्ध नहीं कर पाई और सभी आरोप निराधार पाते हुए न्यायालय ने नक्सली नेता गोपन्ना मरकाम को रिहा करने के निर्देश दिए और शनिवार को केंद्रीय जेल जगदलपुर से गोपन्ना को रिहा कर दिया गया है.


बस्तर समेत 4 राज्यो में लंबे समय से था सक्रिय


वरिष्ठ पत्रकार और जानकार मनीष गुप्ता ने बताया कि गोपन्ना 1980 से नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, और लंबे समय तक बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा बस्तर और आंध्रा, ओड़िशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र के बॉर्डर में सक्रिय रहा, नक्सली संगठन में गोपन्ना को सेंट्रल कमेटी का सदस्य बनाया गया था. साल 2006 में राजधानी रायपुर से लगे गरियाबंद में पुलिस ने गोपन्ना को तस्कर समझकर गिरफ्तार किया था.


यह गिरफ्तारी बड़े ही नाटकीय अंदाज में हुई थी और गिरफ्तारी के दौरान गोपन्ना नक्सलियों के छत्तीसगढ़ ओड़िशा बॉर्डर जोनल कमेटी का सचिव और केंद्रीय कमेटी का सदस्य था, पुलिस ने उसे तुक्के में तस्कर समझ कर गिरफ्तार किया था, और उसके बाद उसकी पहचान नक्सली नेता गोपन्ना मरकाम के रूप में हुई थी, लगभग 16 साल केंद्रीय जेल जगदलपुर में रहने के बाद भी गोपन्ना पर पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार पाए गए, इन सभी मामलों में  पुलिस  के द्वारा सबूत पेश नहीं करने के चलते  न्यायालय ने गोपन्ना मरकाम को बाईज्जत बरी कर दिया.


केंद्रीय जेल जगदलपुर से हुई रिहाई


गौरतलब है कि बीते शनिवार को एक तरफ जहां सीआरपीएफ के 84वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए देश के केंद्रीय मंत्री अमित शाह बस्तर से  नक्सलवाद  खात्मे की ओर है की बात कह रहे थे, वहीं दूसरी तरफ शनिवार को ही बस्तर के केंद्रीय जेल से इतने बड़े नक्सली नेता की रिहाई हो गई ,जानकारी के मुताबिक गोपन्ना मरकाम तेलंगाना के नलगोंडा जिला का रहने वाला है और उसके रिहाई के बाद उसका परिवार उसे लेने जगदलपुर के केंद्रीय जेल में पहुंचा हुआ था.


गोपन्ना मरकाम पर 18 से अधिक मामलों में बीजापुर, दंतेवाड़ा,सुकमा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर गढ़चिरोली इसके अलावा उड़ीसा बॉर्डर में भी कई बड़े नक्सली वारदातों में होने के आरोप थे ,गोपन्ना के सुकमा में सक्रिय रहने के दौरान  आईडी ब्लॉस्ट कर जवानों पर हमला करने का भी आरोप लगा था ,लेकिन विडंबना वाली बात यह है कि बस्तर तेलंगाना उड़ीसा और महाराष्ट्र पुलिस उन पर लगे सभी आरोपों में से एक भी आरोप पर सबूत पेश नहीं कर पाई ,जिसके चलते आखिरकार गोपन्ना को रिहा कर दिया गया.


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