Sukma News: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में बीते 8 मई को भी पुलिस नक्सली मुठभेड़ में मारे गए ईनामी नक्सली दंपति को लेकर माओवादी संगठन के दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव गंगा ने प्रेस नोट जारी कर पुलिस नक्सली मुठभेड़ को फर्जी बताया है. नक्सलियों ने अपने पर्चे में लिखा है कि 8 मई को आधी रात में सुकमा एसपी के निर्देश पर DRG के जवानों ने संगठन के एलओएस कमांडर मड़कम एर्रा और उसकी पत्नी पोडियामी भीमे  को उनके घर से निकाल कर जंगल में ले जाने के बाद गोली मारकर हत्या की  और पुलिस इसे मुठभेड़ बताकर कहानी रच रही है.


नक्सलियों ने लिखा है कि दोनों  नक्सली संगठन छोड़कर जिले के दंतेश्पुरम  गांव में रह रहे थे. इसकी जानकारी जवानों को लगी और उन्हें घर से निकाल कर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. और इसे पुलिस नक्सली मुठभेड़ बताया. वहीं नक्सलियों के इस आरोप का बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने खंडन किया है. आईजी ने बताया कि मारे गए दोनों नक्सली के खिलाफ सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर  तीनों जिलों के अलग-अलग थानों में 34 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. 


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दावा किया गया कि जवानों को आते देख पहले नक्सलियों ने गोली चलाई और मुठभेड़ के दौरान ही दोनों नक्सली मारे गए. आईजी ने कहा कि हमेशा से ही माओवादी मुठभेड़ के बाद पुलिस पर झूठा आरोप लगाते आ रहे हैं. इस मुठभेड़ को भी नक्सली फर्जी बताकर दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बस्तर की जनता उनके बातों में आने वाली नहीं है. 


मानव अधिकार आयोग से जांच की मांग


इधर दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव गंगा के द्वारा जारी प्रेस नोट में नक्सलियों ने लिखा है कि गोल्लापल्ली एलओएस कमांडर मड़कम एर्रा और उसकी जीवनसाथी पोडियामी भिमें लगभग 1 महीने पहले राजनीतिक रूप से कमजोर होकर और नक्सली संगठन को छोड़कर अपने गांव दंतेश्पुरम चले गए थे और साधारण जिंदगी जी रहे थे. लेकिन 8 मई के आधी रात को DRG के जवान इनके घर पहुंचे और उन्हें कई सारी यातनाये  देकर पास के जंगल में ले जाकर दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी. और उसे नक्सलियों के साथ मुठभेड़ बताकर मीडिया के सामने पेश किया जो सरासर गलत है. माओवादी संगठन ने मानव अधिकार आयोग से इस घटना की जांच करने की मांग अपने पर्चा के माध्यम से की है...


झूठा आरोप लगा रहे नक्सली


वहीं बस्तर आईजी ने कहा कि नक्सली हमेशा से ही अपने साथियों के मारे जाने के बाद पुलिस पर इस तरह के अर्नगल आरोप लगाते रहे हैं.  मारे गए दोनों माओवादी काफी लंबे समय से नक्सली संगठन में सक्रिय  रहे और बस्तर में कई हिंसात्मक घटनाओं को दोनों ने मिलकर अपने संगठन के साथियों से मिलकर अंजाम दिया है.  इनके खिलाफ अलग-अलग थानों में 34 से अधिक अपराध पंजीबद्ध है. 8 मई को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर DRG के जवान ने ऑपरेशन लॉन्च किया और दोनों नक्सलियों को मार गिराया बकायदा पुलिस ने दोनों नक्सलियों के हथियार बरामद करने के साथ घटनास्थल से बड़ी मात्रा में नक्सलियो का विस्फोटक सामान और नक्सलियों का दैनिक सामान भी बरामद किया है. नक्सलियों द्वारा फर्जी मुठभेड़ के लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है.