Chhattisgarh News: बस्तर के सड़क निर्माण में नक्सलियों का साया, ठेकेदार-मजदूरों को सता रहा 'लाल आतंक' का डर
Chhattisgarh Naxal: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बीते कुछ सालों से नक्सली दहशत ने सड़कों का निर्माण कार्य को प्रभावित किया है. संभाग के 7 जिलों में 2 हजार किलोमीटर के नए सड़कों का काम अटका हुआ है.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में बीते कुछ सालों से नक्सली दहशत ने सड़कों का निर्माण कार्य को काफी प्रभावित किया है. आलम यह है कि संभाग के 7 जिलों में 2 हजार किलोमीटर के नए सड़कों का काम अटका हुआ है. इनमें अधिकांश सड़के प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाया जाना है, लेकिन नक्सलियों की डर की वजह से अब तक काम शुरू नहीं हो पाया हैं. लिहाजा इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पा रही है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने से डर से डर रहे हैं ठेकेदार
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने लोकसभा में बताया कि बीते 3 सालो के दौरान छत्तीसगढ़ में पीएमजीएसवाई की साढ़े 8 हजार किलोमीटर लंबी 1283 सड़कों के अलावा 135 छोटे बड़े पुलों का निर्माण पूरा गया किया गया है. लेकिन बस्तर संभाग में लगभग 2 हजार किलोमीटर की 392 से अधिक सड़कें और 150 पुल पुलिया का निर्माण कार्य नहीं हो पाया है. यह सभी निर्माण कार्य बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होने हैं और नक्सली हमेशा से ही अंदरूनी इलाकों में सड़क और पुलों के निर्माण का विरोध करते आ रहे हैं. इस कारण यहां काम करने वाले ठेकेदार और मजदूर भी कम मिल रहे हैं. कई बार ठेकेदार और मजदूर नक्सलियों के खौफ का प्रत्यक्षदर्शी बन चुके हैं. इस वजह से अधिकांश ठेकेदार नक्सल प्रभावित इलाकों में काम करने से परहेज कर रहे हैं.
नक्सलियों ने रोक रखा है निर्माण कार्य
दरअसल, बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए पिछले 3 सालों में पीएमजीएसवाई के तहत स्वीकृति लगभग 2 हजार किलोमीटर लंबी 392 सड़कों पर नक्सलियों ने ब्रेक लगा दिया है. इसमें अधिकांश सड़कें बीजापुर और सुकमा जिले की है, जिनका निर्माण कार्य अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है. इस दौरान प्रदेश के सामान्य इलाकों में नक्सलगढ़ से 3 गुना से अधिक सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है. इसकी सबसे बड़ी वजह ठेकेदार और मजदूरों में नक्सलियों का दहशत है. लगातार सड़क निर्माण कार्य में लगे वाहनों में आगजनी मजदूरों से मारपीट और ठेकेदारों को जान से मारने की धमकी की वजह से अंदरूनी इलाकों में सड़कों का निर्माण कार्य अटका हुआ है और नई सड़कें अब तक बननी शुरू नहीं हो पाई है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि कोशिश की जा रही है कि पुलिस के जवानों के सुरक्षा के साये में जिन इलाकों में सबसे पहले सड़क निर्माण कार्य किया जाना है, उन इलाकों में सड़को का निर्माण कार्य करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन नक्सलियों की दहशत की वजह से हमेशा जान का खतरा बना रहता है.
बिना सड़क निर्माण के हो रहा भुगतान
वहीं बस्तर के जानकर व वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बाजपाई का कहना है कि सड़कों के निर्माण कार्य में नक्सली दहशत जरूर है, लेकिन जिन इलाकों में सड़कें भी बनी है उन सड़कों की गुणवत्ता को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं. दक्षिण बस्तर के अंदरूनी इलाकों में तो इन सड़कों का और भी बुरा हाल है. बीजापुर और सुकमा के कई इलाकों में दर्जनभर सड़कें ऐसी है जो कि अधूरी पड़ी हुई है और उनका पूरा भुगतान भी कर दिया जा चुका है. त्रिस्तरीय जांच पिआईक्यू, एसक्यूएम और एनक्यूएम की व्यवस्था विभाग ने की है, पर भी गुणवत्ता में सुधार नहीं आ रहा है. इस वजह से इन सड़कों के निर्माण कार्यो में जमकर भ्रष्टाचार भी हो रहा है और इसलिए अंदरूनी इलाक़ो में सड़कों का नहीं बन पाना और भुगतान हो जाना यह भी सड़के नही बनने की एक वजह है. उन्होंने कहा कि बस्तर के विकास के लिए गांव-गांव तक सड़क बने यह जरूरी है, पीएमजीएसवाई से पूरे देश में सड़कों का जाल बिछ गया है, लेकिन बस्तर में विषम परिस्थितियों के कारण यहां अंदरूनी इलाकों में तय समय में निर्माण करना आसान नहीं है. प्रशासन को प्राथमिकता तय करनी चाहिए ताकि संवेदनशील इलाकों में सड़कों और पुलों का निर्माण समय पर पूरा हो सके.
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