Chhattisgarh Naxalites Attack: छत्तीसगढ़ का बस्तर (Bastar) संभाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, संभाग के सातों जिले लंबे समय से नक्सल (Naxal) समस्या से जूझ रहे हैं. चाहे नक्सलियों से लोहा लेने वाले जवान हों, पुलिस अधिकारी हों या फिर जनप्रतिनिधि. ये हमेशा से ही नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं. नक्सली इनकी जान के दुश्मन बने रहते हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य गठन के बाद से अब तक 119 जनप्रतिनिधियों को नक्सली मौत के घाट उतार चुके हैं.
झीरम घाटी में 21 जनप्रतिनिधियों की हत्या
सबसे ज्यादा झीरम घाटी में नक्सली अब तक 21 जनप्रतिनिधियों की हत्या कर चुके हैं. विधायक हों या सरपंच, जनपद सदस्य हो या संगठन के सदस्य, सभी नक्सलियों के निशाने पर रहते हैं. इसी कारण पूरे देश में सबसे अधिक बस्तर में ही जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है. बकायदा इन्हें X, Y और Z प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. 15 से भी ज्यादा ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें बुलेट प्रूफ गाड़ियां दी गई हैं. इसके अलावा बकायदा उन्हें पुलिस विभाग की ओर से फॉलोअप वाहन भी दिए गए हैं.
चुनाव के दौरान बढ़ जाएगी चुनौती
छत्तीसगढ़ में यह चुनावी साल है. दिसंबर माह में चुनाव होने हैं. ऐसे में कुछ महीने बाद शहर के साथ-साथ नक्सल प्रभावित गांवों में भी चुनाव प्रचार शुरू हो जाएगा. इस दौरान जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा पुलिस विभाग के लिए बड़ी जिम्मेदारी होगी. इसको लेकर पुलिस विभाग ने अभी से जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर तैयारी करना शुरू कर दिया है.
90 से अधिक जनप्रतिनिधियों को मिली है सुरक्षा
नक्सल प्रभावित बस्तर में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, सीपीआई हो या अन्य राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि, सभी नक्सलियों के टारगेट पर रहते हैं. कई जनप्रतिनिधि तो ऐसे हैं, जो नक्सली हमले से बाल-बाल बच कर बाहर निकले हैं. कई बार नक्सलियों ने इन्हें टारगेट तो बनाया, लेकिन सूझबूझ से मौत के मुह से बच निकलने में कामयाब हो गए. बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि बस्तर संभाग में 90 से अधिक जनप्रतिनिधियों को पुलिस की ओर से सुरक्षा दी गई है. इनमें से ऐसे 20 से अधिक जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें वाई प्लस और जेड प्लस श्रेणी की सिक्योरिटी दी गई है.
90 नेताओं पर हो चुके हैं बार-बार हमले
आईजी ने बताया कि 500 से 600 जवान इन जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा में तैनात हैं. इन जनप्रतिनिधियों में विधायक के साथ पूर्व विधायक, जिला अध्यक्ष, पूर्व जिला अध्यक्ष और कुछ सलवा जुडूम के नेता भी शामिल हैं. 90 जनप्रतिनिधियों में ऐसे भी हैं, जिन पर नक्सली बार-बार अटैक कर चुके हैं. उनके वाहनों को ब्लास्ट करवाने के साथ कई बार उनके काफिले में फायरिंग भी की गई है. यही नहीं, इनके घर पर भी हमले किए गए हैं. हालांकि सुरक्षागत कारणों से बस्तर के आईजी ने इनके नाम का खुलासा नहीं किया. लेकिन, उन्होंने बताया कि नक्सलियों के हमले से बाल-बाल बचे जनप्रतिनिधियों को बुलेट प्रूफ वाहन देने के साथ हाई लेवल की सिक्योरिटी दी गई है. बकायदा चौबीसों घंटे उनके साथ पीएसओ भी तैनात रहते हैं.
तीन नेताओं की हत्या के बाद सर्वदलीय बैठक
बस्तर आईजी ने सप्ताह भर में तीन भाजपा नेताओं की नक्सलियों द्वारा हत्या करने के बाद जनप्रतिनिधियों और सरपंचों से अपील की है कि बिना पुलिस को जानकारी दिए अंदरूनी क्षेत्रों में न जाएं. किसी भी सभा का आयोजन बिना पुलिस को सूचना दिए न करें. आईजी ने कहा कि इस घटना के बाद बस्तर में भी सर्वदलीय बैठक बुलाई गई.
बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, ताकि जनप्रतिनिधियों को नक्सली निशाना न बना सकें. इनकी सुरक्षा पुलिस विभाग बेहतर तरीके से कर सके. आईजी ने बताया कि नक्सलियों के टारगेट में रहने वाले कुछ और जनप्रतिनिधियों ने सुरक्षा की मांग की है, जिस पर विचार किया जा रहा है. फिलहाल पूरे संभाग के 90 जनप्रतिनिधियों को जो नक्सलियों के टारगेट पर हैं, उन्हें खास सुरक्षा दी गई है.
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