Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में रावण दहन पर आपत्ति, गोंडवाना भुमका संघ ने की FIR की मांग
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के अंतर्गत आने वाले खड़गंवा मुख्य बाजार में बन रहे रावण पुतले के दहन को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए गोंडवाना भुमका संघ ने थाना में एफआईआर की मांग करते हुए एक आवेदन दिया.
Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: आज जहां पूरे देश में नवरात्रि की धूम मची हुई है और रावण दहन के लिए देश के हर एक हिस्से में बड़े स्तर पर तैयारी हो रही है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के नवगठित जिला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के अंतर्गत आने वाला खड़गंवा मुख्य बाजार में बन रहे रावण के पुतले के दहन को लेकर गोंडवाना भुमका संघ ने रावण दहन को रोकने के लिए थाना खड़गंवा पहुंचकर एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है.
गोंडवाना भुमका संघ ने की FIR की मांग
कई सालों से असत्य पर सत्य की जीत को नवरात्रि के समय रावण दहन की परंपरा चली आ रही है. वहीं जिला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के अंतर्गत आने वाले खड़गंवा मुख्य बाजार में बन रहे रावण पुतले के दहन को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए गोंडवाना भुमका संघ ने थाना में एक आवेदन दिया. अनेक धाराओं को उल्लेखित करते हुए रावण दहन को रोकने के लिए एफआईआर दर्ज करने की बात कही है. साथ ही जय लंकेश, राजा रावण अमर रहे के नारे की बात भी कही है. इस प्रकार का आवेदन दिए जाने को लेकर जहां एक तरफ रावण दहन व्यवस्था करने वालों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है. वहीं कई लोग इसे आश्चर्य के रूप में भी देख रहे हैं.
सासंद प्रतिनिधि ने कहा
सांसद प्रतिनिधि अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि अखिल गोंडवाना कोया पूनेम भुमका सेवा संस्थान शाखा खड़गंवा के द्वारा थाना में एक ज्ञापन दिया गया है. ज्ञापन में कहा गया कि रावण दहन न किया जाए, रावण आदिवासियों के देवता है. उन्होंने आगे बताया कि रावण दहन खड़गंवा में विगत 40 वर्षों से हो रहा है. दशहरा के दिन पूरे भारत में रावण दहन किया जाता है. कई जगह रावण दहन के लिए शासन व्यवस्था करती है. दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रावण दहन के मुख्य अतिथि रहते है. हम आदिवासी क्षेत्र में रहते हैं. हमारे दोस्तों के यहां तीज त्यौहार में जाते हैं.
आदिवासी समाज ने कभी नहीं कहा
सांसद ने कहा आज तक किसी आदिवासी समाज ने नहीं कहा रावण हमारे देवता है, ना ही वो रावण की पूजा करते है. क्योंकि शास्त्रों में वर्णित है कि रावण ब्रह्मण जाति का था. हिंदुस्तान का नहीं था, आर्यव्रत का नहीं था, वो श्री लंका का राजा था. अपने कर्मों की वजह से रावण का पुतला जलाया जाता है. रावण के एक भाई कुबेर पूज्य है और देवलोक में उनको उचित स्थान प्राप्त है. कुबेर को धन का देवता माना जाता है लेकिन रावण की प्रवृति की वजह से रावण का पुतला दहन किया जाता है. हमारी भावना किसी समाज की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं है. अगर वे तथ्य के साथ बताएंगे की रावण उनके देवता है तो रावण दहन बंद कर दिया जाएगा. हम किसी भी हालत में सामाजिक सौहार्द नहीं बिगाड़ना चाहते.
ये भी पढ़ें-