Bastar News: दो राज्यों के बीच मतभेद को भूला ग्रामीणों ने लगाए 1 लाख पौधे, खेती के लिए चल रहा था विवाद
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में ग्रामीणों ने पर्यावरण को बचाने के लिए करीब एक लाख पौधे लगाकर मिसाल पेश की है.
बस्तर में ग्रामीणों ने पर्यावरण को बचाने के लिए करीब एक लाख पौधे लगाकर मिसाल पेश की है. ओड़िशा और छत्तीसगढ़ राज्य के सैकड़ों ग्रामीणों ने बस्तर जिले के बॉर्डर में स्थित कुरंदी नदी के तट में बिना सरकारी मदद के पौधारोपण किया है, दरअसल जिस नदी किनारे की जमीन पर खेती करने 2 राज्यों के ग्रामीणों के बीच लंबे समय से होड़ मची थी और विवाद की स्थिति पैदा हो रही थी अब उसी नदी किनारे नदी को बचाने और उससे प्रवाहमय बनाए रखने 1 लाख पौधे ग्रामीणों के द्वारा रोपे गए है.
पौधारोपण में 2 राज्यों के करीब 12 गांव के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हुए और जिसके बाद नदी किनारे उन्होंने पौधारोपण किया, ग्रामीणों ने यहां अलग अलग 22 प्रजाति के पौधे लगाए. वहीं इतने बड़े स्तर पर पौधारोपण के लिए ग्रामीणों ने किसी तरह की कोई सरकारी मदद नहीं ली,और ना ही मशीनरी का कोई उपयोग किया.
1 लाख पौधे लगाकर ग्रामीणों ने पेश की मिसाल
ओड़िसा और छत्तीसगढ़ राज्यों के ग्रामीणों ने बताया कि नदी के किनारे लगभग 10 से 12 किलोमीटर के तटीय क्षेत्र में पौधारोपण किए जाने का उन्होंने लक्ष्य रखा है, और अगले 3 दिनों तक यहां ग्रामीणों के द्वारा पौधारोपण किया जाएगा अब तक ग्रामीणों के द्वारा 1 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं, जो बस्तर संभाग के साथ छत्तीसगगढ़ राज्य के लिए भी एक रिकॉर्ड साबित हुआ है.
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि तेजी से सूखती कुरंदी नदी को बचाने के लिए पूरे गांव के गांव जुटे गए हैं, वह भी बिना कोई सरकारी मदद के, उन्होंने नदी और जंगलों की उपियोगिता को समझते हुए पौधारोपण शुरू किया है, और इस पौधारोपण में दोनों राज्यों के ग्रामीणों में बच्चे ,बूढ़े ,महिला भी बढ़चढ़कर शामिल हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बस्तर की खूबसूरती यहां के जंगलों से है, लेकिन प्रायः देखा जा रहा था कि धीरे-धीरे बस्तर के जंगल तबाह हो रहे थे और कई इलाकों में अवैध कटाई भी हो रही थी, लेकिन अपनी प्रकृति को बचाने कुरंदी नदी के आसपास रहने वाले छत्तीसगढ़ और ओड़िसा राज्य के सैकड़ो ग्रामीणों ने अपने इलाके में ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करने की ठान ली है.
साथ ही उसकी देखभाल भी ग्रामीणों द्वारा ही करने की बात कही है, उनका कहना है कि 10 से 12 किलोमीटर में ग्रामीणों के द्वारा जंगल तैयार कर पर्यावरण जागरूकता को लेकर एक मिसाल पेश करना और बस्तर में खुद ग्रामीणों द्वारा अपने अपने इलाको में पौधरोपण करने के लिए जागरूक करना ही उनका लक्ष्य है.
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