(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Surguja: फिर छिड़ी अम्बिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन की चर्चा, रेलवे ने मांगा 34 गांवों का नक्शा
सरगुजा वासी रेल विस्तार के नाम पर दशकों से ठगे जा रहे हैं. हर बार चुनाव के ठीक पहले रेल विस्तार की मांग स्वयं से चर्चा में आ जाती है. सांसदरेल मंत्री से मिलने का हवाला देकर वाहवाही बटोरते रहे हैं.
Surguja News: चुनावी तैयारियों के बीच एक बार फिर अम्बिकापुर-बरवाडीह रेल परियोजना की चर्चा शुरू हो गई है. ताजा चर्चा दशकों से लंबित अम्बिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन के अंतिम सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू करने पर हुई. दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे के उप मुख्य अभियंता कार्यालय से बलरामपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण की जानकारी मांगी गई है. बजट प्रावधान बिना रेल लाइन निर्माण के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. बलरामपुर एवं पलामू में कोयला के अकूत भंडार होने की जानकारी पर पहली बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष 1935 में बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन का सर्वे कराया था.
एक बार फिर रेल परियोजना की चर्चा शुरू
सर्वे बाद तत्कालीन सरकार ने प्रथम चरण में बरवाडीह, कुटकू, भंडरिया, बरगढ़, रामनगर होते हुए बलरामपुर के पास सरनाडीह तक भूमि अधिग्रहण करने, रेलपात बिछाने और स्टेशन निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेज सरकार को भारत छोड़ने का भय सताने लगा. सरकार ने स्थिति को देखते हुए वर्ष 1946 में रेल लाइन निर्माण पर विराम लगा दिया.
आजादी मिलने के बाद फिर से बरवाडीह रेल लाइन पर चर्चा शुरू हुई. बजट में राशि का भी प्रावधान किया गया. बाद में राशि दिल्ली-पठानकोट रेल परियोजना में स्थानांतरित तक फिर से विराम लगा दिया गया. महत्वकांक्षी योजना नेपथ्य में चली गईं. तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद 1960 में सरगुजा पहुंचे. लोगों ने उन्हें लंबित चिरमिरी-बरवाडीह रेल लाइन की याद दिलाई. तत्कालीन रेल मंत्री जगजीवन राम सरगुजा प्रवास पर पहुंचे गुए थे. स्थानीय लोगों ने उनसे बरवाडीह रेल लाइन निर्माण शुरू कराने का आग्रह किया.
रेल मंत्रालय ने बलरामपुर से बौरीडांड़ तक लंबित रेल लाइन का सर्वे कराने का निर्णय लिया. दोबारा सर्वे भी हुआ लेकिन ऐन समय में रेल लाइन की प्रमुखता बदल गई. रेल मंत्रालय ने वर्ष 1961-62 में बौरीडांड़ से विश्रामपुर तक 92 किमी लम्बी रेल लाइन विस्तारित करने की स्वीकृति दे दी. रेल लाइन तैयार होने पर 21 अक्टूबर 1964 को पहली बार विश्रामपुर से पैसेंजर ट्रेन का परिचालन शुरू किया गया. विश्रामपुर तक ट्रेन सुविधा शुरू होने के बाद फिर लोग बरवाडीह रेल लाइन को भूल गए और कटनी एवं बिलासपुर तक रेल विस्तार की मांग होने लगी. आगे भारत-चीन युद्ध से देश की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण योजना पर खास चर्चा नहीं हो सकी. इस बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुंबई एवं कलकत्ता की दूरी कम करने पर चर्चा शुरू हुई.
तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी वर्ष 1972 में शासकीय कार्यक्रम में पहुंची. लोगों ने लंबित बरवाडीह लाइन शुरू कराने की मांग की. वर्ष 1973-74 में तीसरी बार रेल लाइन का सर्वे कराया गया. तत्कालीन सांसद लरंगसाय को रेल लाइन विस्तार की मांग याद दिलाकर लोगों ने तत्कालीन रेल मंत्री मधु दंडवते से मुलाकात की. तत्कालीन सांसद लरंगसाय की पहल पर रेलमंत्री ने कटनी - विश्रामपुर पैसेंजर, दिल्ली बोगी की सौगात एवं विश्रामपुर बरवाडीह रेल लाइन सर्वे के लिए 10.97 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की. इसी दौरान अम्बिकापुर तक रेल विस्तार की स्वीकृति भी मिली.
वर्ष 1980 में केंद्र सरकार बदलने के बाद एक बार फिर रेल परियोजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई. बीच-बीच रेल मंत्रालय बरवाडीह रेल परियोजना का सर्वे कराता रहा है. अब तक खर्च हुई राशि से परियोजना काफी पहले तैयार हो चुकी होती. परियोजना को पूर्व में अलाभकारी घोषित किया जा चुका है. रेलवे ने बरवाडीह परियोजना के अंतिम सर्वे की जिम्मेदारी दिल्ली की इंट्रोक्ट कंपनी को सौंपी है. कलेक्टर से रेल लाइन के 34 गांवों का नक्शा और भूमि की जानकारी मांगी है.
रेल विस्तार के नाम पर दशकों से ठगी
सरगुजा वासी रेल विस्तार के नाम पर दशकों से ठगे जा रहे हैं. हर बार चुनाव के ठीक पहले रेल विस्तार की मांग स्वयं से चर्चा में आ जाती है. सांसद रेल मंत्री से मिलने का हवाला देकर वाहवाही बटोरते रहे हैं. पूर्व में कुछ सांसद भरी सभा में बरवाडीह रेल लाइन विस्तार की स्वीकृति मिलने की भी घोषणा कर चुके हैं. पिछले साल भी सांसद रेणुका सिंह ने रेल मंत्री के शहर पहुंचने पर रेल विस्तार की घोषणा करने की बात कही थी. किसी कारण रेल मंत्री के नहीं पहुंचने पर गोल-मटोल बातें कहकर सांसद की इज्जत बचाई गई. जानकार बरवाडीह परियोजना के अंतिम सर्वे की बात को भी राजनीतिक शिगुफा बता रहे . इस परियोजना के लिए बजट में राशि का प्रावधान नहीं किया गया है.
क्षेत्रवासियों की मांग पर रेल मंत्रालय अब तक अम्बिकापुर-झारखण्ड मापा, बतौली, सीतापुर, पत्थलगांव, कोरबा 212 किमी लंबी रेल परियोजना, रेनुकूट-कोरबा मापा अम्बिकापुर 351.7 किमी लम्बे रेलमार्ग, भटगांव, प्रतापपुर, वाड्रफनगर रेनुकूट, रेल मार्ग, धर्मजयगढ़-अम्बिकापुर मापा पत्थलगांव 143 किमी रेलमार्ग, अम्बिकापुर-बरवाडीह 182 किमी लम्बी रेल परियोजना, अम्बिकापुर-गढ़वा 171.10 किमी रेल लाइन एवं नई रेल परियोजना का सर्वे करा चुका है. सर्वे के बाद सभी परियोजनाएं स्वीकृति का इंतजार कर रही हैं.
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