OPS in Chhattisgarh: साल 2022 के हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पाने के बाद इस बार भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को बड़ा मुद्दा बनाया. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के संक्लप पत्रों में कांग्रेस का सबसे बड़ा दांव ओपीएस रहा, जिसे पार्टी ने जोर-शोर से जनता के सामने उठाया. कांग्रेस की रणनीति के तहत करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों को साधने का यह सबसे सही तरीका था. विशेषज्ञों का भी यही मानना था कि यह वादा कांग्रेस के पाले में आसानी से वोट डलवा सकता है, लेकिन हुआ कुछ उल्टा. 


दरअसल, एमपी-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के परिणामों ने चौंका दिया. तीनों राज्यों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकार थी. वहीं, मध्य प्रदेश में भी भारी भरकम तादाद में कांग्रेस को पसंद करने वाली जनता रही. छत्तीसगढ़ में तो भूपश बघेल की सरकार में कांग्रेस ने एलान भी कर दिया था कि अगली बार ओपीएस लागू कर दिया जाएगा. इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई थी. वहीं, कमलनाथ ने जनता से प्रत्यक्ष तौर पर यह दावा किया था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही जनता को ओपीएस का तोहफा दिया जाएगा. हालांकि, अब ऐसा कहा जा सकता है कि तीनों राज्यों की जनता ने ओपीएस को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.


राजस्थान में भी कांग्रेस ने दी थी ओपीएस की गारंटी
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2022 के अप्रैल में अशोक गहलोत ने राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का वादा कर दिया था. इस स्कीम की वजह से जनता का साथ पाने के लिए अशोक गहलोत काफी कॉन्फिडेंट थे. हर चुनावी सभा में उन्होंने इसी को कांग्रेस की सबसे बड़ी गारंटी माना और लगातार जनता को ओपीएस के जरिए ही 10 लाख वर्तमान औऱ रिटायर्ड कर्मचारी समेत उनके परिजनों को लुभाने की कोशिश की.


इसी तरह छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने जनता को गारंटी दी थी कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया जाएगा. इसी के साथ यहां भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था. लगातार इस मामले पर सरकार की बैठकें हो रही थीं. केंद्र सरकार से अपील की जा रही थी कि राज्य कर्मचारियों के एनपीएस में जमा पैसे भेज दें. हालांकि, केंद्र ने इससे साफ इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं, मनाही के बावजूद भूपेश बघेल सरकार ने मोदी सरकार को यह चेतावनी दी थी कि छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों की 17240 करोड़ रुपये पेंशन की, वह केंद्र से वापस लेकर ही रहेंगे. 


क्या छत्तीसगढ़ में लागू हो पाएगी OPS?
विशेषज्ञों का कहना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करना इतना आसान काम नहीं है. अगर किसी भी राज्य के लिए ऐसा किया जाता है तो उसे सरकारी खजाने पर काफी बोझ आएगा. वहीं, कानूनी तौर भी केंद्र सरकार इसकी इजाजत देने के लिए राजी नहीं है. हालांकि बीजेपी शासित राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल की सरकारों ने ओपीएस वापस लाने का वादा कर दिया था लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में अब इसे निरस्त कर दिया जाएगा क्योंकि यहां बीजेपी की सरकार बनने जा रही है और यह बात साफ जाहिर है कि बीजेपी इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं है. 


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