Rajnath Singh Meets Ajay Mandavi: केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह  शनिवार को अपने एक दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ के नक़्सल प्रभावित  कांकेर जिला पहुंचे, जहां उन्होंने शहर के नरहरदेव हाई स्कूल  मैदान में हजारों की संख्या में पहुंचे जनसमुदाय को संबोधित किया. सभा को संबोधित करने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कांकेर के रहने वाले पद्मश्री अजय मण्डावी से मिलने उनके घर पहुंचे और उनका शॉल और श्रीफल से सम्मान किया. अजय मण्डावी ने भी रक्षा मंत्री को काष्ट से बना महामृत्युंजय स्लोगन भेंट किया. 


पद्मश्री अजय मण्डावी ने रक्षा मंत्री से हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी और बताया कि रक्षा मंत्री से उन्होंने बस्तर में सीज फायर का निवेदन किया है. उन्होंने बताया कि बस्तर दोनों तरफ के हिंसा से जल रहा है. पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई में आदिवासी मारे जा रहे हैं. यह हिंसा बंद होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बस्तर में जारी हिंसा को लेकर सीज फायर युद्ध विराम के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री से निवेदन किया है, ताकि बस्तर में शांति आ सके.


रक्षामंत्री ने कहा- जल्द ही निकलेगा नक्सलवाद का समाधान
पद्मश्री अजय मंडावी ने बताया कि वर्तमान में भी वह सरेंडर नक्सलियों को काष्ठ कला का प्रशिक्षण दे रहे हैं और जिससे उनको रोजगार भी उपलब्ध हुआ है ,उनकी कोशिश है कि जेल में बंद विचाराधीन बंदियों को भी काष्ठ कला का बेहतर प्रशिक्षण देकर उनकी जिंदगी संवारे ताकि जेल से रिहा होने के बाद वे एक बेहतर जिंदगी जी सकें, अजय मंडावी ने बताया कि बस्तर में सीज फायर के निवेदन के बाद  रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द ही नक्सलवाद का समाधान निकलेगा और छत्तीसगढ़ पूरी तरह से नक्सल मुक्त भी होगा और बस्तर शांति का टापू बनेगा. 


वहीं, राजनाथ सिंह ने  सभा मंच से अजय मण्डावी को लेकर कहा कि केंद्र में रही कांग्रेस की सरकार ने कभी यहां के आदिवासियों का सम्मान नहीं किया, लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद आदिवासियों के लिए अलग से मंत्रालय बना और आदिवासियों के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए सम्मान भी किया जा रहा है. कांकेर के अजय मंडावी ने भी जेल में बंद सरेंडर नक्सलियों और विचाराधीन बंदियों को काष्ठ कला का प्रशिक्षण देकर उनके जिंदगी में बदलाव लाया है. यही वजह है कि उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए नागरिक अलंकरण समारोह में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है जो बस्तर के पूरे आदिवासियों के लिए गर्व का विषय है.


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