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Aadi Mahotsav: दिल्ली में बस्तरिया फूड का लुफ्त उठा रहे लोग, दो दिन में बिक गई 20 KG चींटी की चटनी

दिल्ली के मेजर ध्यानचंद इंटरनेशनल स्टेडियम में हो रहे आदि महोत्सव में लोग बस्तरिया फूड का लुफ्त उठा रहे हैं. आलम ये है कि दो दिनों मे ही  20 किलो चापड़ा ( चींटी) की चटनी बिक गई.

Aadi Mahotsav News:  देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के मेजर ध्यानचंद इंटरनेशनल स्टेडियम (Major Dhyan Chand National Stadium) में हो रहे आदि महोत्सव (Aadi Mahotsav ) में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की बस्तरिया खाने ने धूम मचाई हुई है. इस महोत्सव में पहुंचे लोग बस्तरिया खाने के स्वाद का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं. दरअसल इस आदि महोत्सव में अलग अलग राज्यो के फूड स्टॉल लगाए गए हैं. जिसमें दूसरे नंबर पर लगी बस्तरिया फूड स्टॉल में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. और बस्तर के अलग अलग 27 प्रकार के डिशेश का स्वाद चख रहे हैं.

लोग सबसे ज्यादा बस्तर की फेमस चापड़ा ( चींटी) की चटनी और महुआ की चाय को पसंद कर रहे हैं. आलम ये है कि दो दिनों मे ही  20 किलो चापड़ा ( चींटी)  की चटनी बिक गई और इस  चटनी की डिमांड भी बढ़ गई है. यही नहीं महुआ से बने लड्डू,  लंदा पेज और   मंडिया पेज  की भी जमकर बिक्री हो रही है. काफी लोग इस बस्तरिया खाने का लुफ्त उठा रहे हैं. बस्तर में आदिवासियों की ओर से तैयार की जाने वाली लगभग 27 प्रकार की डिश को लेकर दिल्ली के स्टेडियम में आदि महोत्सव में स्टॉल लगाने पहुंचे, इस स्टॉल के संचालक  नक्सल पीड़ित युवा राजेश यालम ने बताया कि बस्तरिया खाने को लोगो का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, और लोग एडवांस में आर्डर दे रहे हैं. लगातार उनके इस देसी खाने की डिमांड बढ़ती ही जा रही है.

नक्सलियों की बढ़ती हिंसा के चलते छोड़ा गांव 

दरअसल, बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित गांव मुर्कीनार  के रहने वाले राजेश यालम ने बताया कि उनके गांव में नक्सलियों का आतंक काफी ज्यादा था. नक्सल हिंसा में उस गांव में कई लोग मारे गए. इसके बाद नक्सल दहशत की वजह वो गांव से बीजापुर आ गए. यहां कुछ दिन रहने के बाद उन्होंने देखा कि बस्तर में पारंपरिक खाने का कोई होटल या ढाबा नहीं है. इसके बाद उन्होंने जगदलपुर- दंतेवाड़ा मार्ग के नेशनल हाइवे के पास तिरथुम गांव में आमचो बस्तरिया ढाबा खोला और अपने साथ 30 अन्य युवा बेरोजगारों को भी जोड़ा. यहां इन्होंने पूरी तरह से पर्यटकों को  बस्तरिया खाने का  स्वाद चखाया. पारंपरिक फूड्स खाने के शौकीन ढाबा संचालक राजेश यालम के देसी फूड्स की जमकर तारीफ करते हैं. राजेश  ने बताया कि उनके ढाबे में बस्तर की लोकल डिश बनती है. इसमें चापड़ा (चींटी) की चटनी, मंडिया पेज, लंदा पेज, महुआ की चाय होती है. राजेश ने बताया कि उन्होंने अपने ढाबे को भी पूरी तरह से  बस्तरिया हर्ट झोपड़ी की तरह तैयार किया है.

आदि महोत्सव में स्टॉल लगाने का मिला मौका

राजेश आलम ने बताया कि उन्हें जब पता चला कि दिल्ली में 17 फरवरी से 27 फरवरी तक होने वाले आदि महोत्सव में उन्हें भी फूड स्टॉल लगाने का मौका मिल रहा है, तो उन्होंने अपनी टीम के साथ इस महोत्सव में बस्तरिया फूड्स के 27 प्रकार के डिशेश का स्टॉल लगाया. यही नहीं पहले ही दिन से उनके इस  स्टॉल को लोगों का अच्छा रिस्पांस मिलने लगा. उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में पूरे 28 राज्य के अलग-अलग फूड्स स्टॉल लगाए गए हैं. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में देश के सभी राज्यों से लोग इस महोत्सव में शामिल होने भी पहुंचे हैं.

 VVIP लोगो ने भी की बस्तरिया फूड की तारीफ

उनके इस बस्तरिया फूड्स का स्वाद VVIP लोगो ने भी चखा और   इसकी  जमकर तारीफ की. साथ ही  एडवांस में अलग अलग फूड ऑर्डर भी दिए. राजेश यालम ने बताया कि दो ही दिन में उन्होंने 20 kg चापड़ा ( चींटी )की चटनी की बिक्री की. जिन जिन लोगों ने इस चटनी का स्वाद चखा सबने इसकी खरीददारी की. इसके अलावा लोगों ने महुआ की चाय की भी जमकर तारीफ की. राजेश  ने बताया कि इस महोत्सव में अब तक उन्होंने एक लाख रूपये से अधिक की अपने बस्तरिया फूड्स की बिक्री कर दी है. साथ ही लोगों का लगातार काफी अच्छा रिस्पांस  मिल रहा है.

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