छत्तीसगढ़ में गोबर से विविध प्रकार के प्रोडक्ट्स तैयार किए जा रहे हैं. आने वाले दिनों में रंगो का त्योहार होली है तो अब गोबर और बेकार फूलों से कलरफुल गुलाल बनाया जा रहा है. हानि रहित अब इस गुलाल की चर्चा भी राज्य में होने लगी है. प्रदेश के लोगों को केमिकल वाले गुलाल की तुलना में यह एक बढ़िया विकल्प नजर आ रहा है. 


गोबर और बेकार फूलों से बनाई जाती है ये गुलाल


दरअसल, रायपुर की जिस गौठान समिति ने गोबर से चप्पल बनाने के लिए सुर्खियां पाई थी, उसी गौठान समिति ने अब गोबर से गुलाल बनाने की ठानी है. पिछले एक महीने से इसकी प्रक्रिया शुरू की गई. गौठान समिति के प्रभारी रितेश अग्रवाल ने बताया कि गोबर से कई तरह के प्रोडक्ट बनाए गए हैं जिसे लोगों ने पसंद किया है. अब गोबर से गुलाल बनाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए बेकार फूलों को इकट्ठा किया जा रहा है. नगर निगम की तरफ से भी बेकार फूल भिजवाया जा रहा है. इसमें मंदिरों और कार्यक्रमों में इस्तेमाल किए गए फूल शामिल हैं.


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गोबर से गुलाल बनाने की विधि क्या है 


मंदिरों से इकठ्ठे किए गए फूलों को पहले सुखाया जाता है फिर उसे पीसा जाता है. इसी तरह गोबर को भी सुखाकर पीसा जाता है. जब दोनों पाउडर के रूप में आ जाते हैं तो उसे मिक्स किया जाता है. इसके बाद इसमें फूड कलर और पानी मिक्स किया जाता है और कस्टर्ड पाउडर मिलाया जाता है. इसके बाद इस मिश्रण को धूप में सुखाया जाता है. पूरी तरह से सूखने के बाद छन्नी से छानने के बाद पैक कर बाजार में उतारा जा सकता है.


रायपुर की स्वच्छता रैंकिंग सुधार की कोशिश


रायपुर को देशभर में सबसे इनोवेटिव शहर और स्वच्छता रैंकिंग में टॉप पर लाने के उद्देश्य से लागातार प्रयास किया जा रहा है. रितेश अग्रवाल ने बताया कि, वेस्ट से बेस्ट बनाना हमारा काम है. स्वच्छता रैंकिंग में रायपुर की स्थिति बेहतर बनाने के लिए यहां इनोवेशन पर लगातार जोर दिया जा रहा है. पहले मंदिरों में चढ़ने वाले और शादी में उपयोग किए जाने वाले फूलों को फेक दिया जाता था अब उन फूलों का गुलाल बनाया जा रहा है.


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