Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सरकारी प्लेन के लिए कोई पायलट नहीं है. मई 2022 में सरकार का अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस हादसे में राज्य के 2 पायलट की मौत हो गई थी. इसके बाद से वीआइपी प्राइवेट प्लेन से आना जाना कर रहे हैं. क्योंकि सरकारी विमान में बिना सरकारी पायलट के वीआईपी नहीं उड़ सकते इस लिए प्राइवेट प्लेन से उड़ान नहीं भरी जा रही है. इससे सरकार के खजाने पर गहरी चोट पड़ रही है और पायलट नियुक्ति प्रक्रिया भी नियमों में हुए बदलाव के कारण अटकी पड़ी है.
छत्तीसगढ़ में सरकारी पायलट नहीं
दरअसल डीजीसीए (DGCA) के नियम के अनुसार प्लेन का हर महीने मेंटेनेंस चेकअप किया जाता है. इसके लिए विमानन विभाग हर महीने प्लेन नागपुर भेज रहे हैं. इसपर सालाना लाखों रुपए का खर्च हो रहा है. वहीं हर महीने मेंटनेंस चेक अप नहीं किया गया तो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय का लाइसेंस रद्द हो जाएगा. इसलिए सरकार को लाखों रुपए खर्च उठाना पड़ रहा है. इसके अलावा प्राईवेट विमान के लिए भी लाखों रुपए का खर्चा सरकार को उठाना पड़ रहा है. क्योंकि बाजार रेट के मुताबिक प्रति फ्लाइंग आवर्स के लिए 1 से डेढ़ लाख रुपए प्राइवेट विमान का खर्चा होता है. इसका रेट प्लेन की सीट के अनुसार निर्धारित किया जाता है.
नियुक्ति नियमों में उलझा विमानन विभाग
अगर राज्य सरकार के पास सरकारी पायलट होते तो सरकारी खजाना खाली नहीं होता. इसमें भी जितना विलंब पायलट की नियुक्ति में लगेगा उतना ही भार खजाने पर पड़ेगा. लेकिन छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश सरकार के समय का पायलट नियुक्ति नियम है. इसमें संशोधन के बाद ही सरकार पायलट नियक्ति कर पाएगी. इस लिए नियमों के उलझन में सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है. विमानन विभाग के संचालक नीलम नामदेव एक्का ने एबीपी न्यूज को बताया कि सरकारी पायलट नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है.
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के समय के नियम के सरलीकरण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को संशोधन भेजा गया है. संशोधन के बाद पायलट नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नीलम नामदेव एक्का ने आगे बताया कि जूनियर और सीनियर पायलट के लिए क्या क्या क्वालिफिकेशन होगा, ये सब नए संशोधन में होगा और इसकी प्रक्रिया चल रही है.
सरकार को प्राइवेट प्लेन के लिए कितना खर्चा आता होगा ?
राज्य सरकार प्राइवेट प्लेन के लिए कितना खर्च कर रही है. इसकी जानकारी अधिकारी देने से कतरा रहे हैं. लेकिन विधानसभा प्रश्नोत्तरी में कांग्रेस सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, एक दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2021 के बीच B-200 प्लेन और उस समय उपलब्ध रहे सरकारी हेलीकॉप्टर अगस्ता A-109 हेलीकॉप्टर पर 14 करोड़ 65 लाख 15 हजार रुपए खर्च किए गए हैं. इसके अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है अगर प्राइवेट प्लेन से उड़ान भरी जा रही है तो कितना खर्चा आ रहा होगा.
क्या ऐसे पूरी हो सकती थी पायलट की कमी
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए 2007 पायलट प्रशिक्षण योजना शुरू की गई थी. इसमें राज्य के कोने-कोने से युवा पायलट बनने का सपना लेकर रायपुर पहुंचे थे. इन युवाओं की ट्रेनिंग के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने एक साई फ्लाई टेक नाम की कंपनी से करार किया था. इसके बाद प्रदेशभर से युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए युवाओं का परीक्षा लेकर चयन किया गया था. कई युवाओं 80 घंटे तक का फ्लाइंग आवर्स कंप्लीट कर लिया था. लेकिन इस योजना को 2011 में बंद कर दिया गया और युवाओं से सपने धरे के धरे रह गए. आज भी राज्य में जूनियर पायलट की आधी-अधूरी ट्रेनिंग पूरी करने वाले एक दर्जन युवा है. फिलहाल इन युवाओं ने अब दूसरे सेक्टर में अपना काम शुरू कर दिया है.
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