Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के बड़े आरापुर में 7 माह के बच्चे टंकित के परिवार वालों के उस समय होश उड़ गए, जब उन्हें पता चला कि उनके बच्चे के गले में बड़ा प्लास्टिक ढक्कन फंस गया है. इसकी जानकारी मिलते ही परिवार डिमरापाल जिला अस्पताल पहुंचा. इस दौरान बच्चे की सांस रूक रही थी, जिसकी वजह से उसकी तबीयत भी लगातार बिगड़ रही थी. ऐसे में डिमरापाल मेकाज के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद बच्चे की लगातार मॉनिटरिंग की. जिसके बाद बच्चे के स्वस्थ्य होने की पुष्टि डक्टरों ने की, जिससे परिवार वालो की जान में जान आई.
मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनुरूप साहू ने बताया कि 7 माह का मासूम उनके यहां 20 फरवरी की सुबह पहुंचा. अत्यंत गंभीर और बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल लेकर आया गया था. बच्चे की सांस भी अच्छे से नहीं चल रही थी. डॉक्टरों की टीम ने ढक्कन को बाहर से ही निकालने का प्रयास शुरू किया, लेकिन गंभीर स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया. क्योंकि गले में फंसा हुआ ढक्कन सांस को रोक रहा था, इसलिए गलती की गुंजाइश बिल्कुल नहीं थी, इसलिए बिना देर किए इसका इसोफेगोस्कोपी रिमूवल ऑफ फारेंन बॉडी यानी की इसे निकालने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया और ऑपरेशन सफल हुआ. जिससे बच्चे की जान बच गई.
दो घंटे तक चला ऑपरेशन
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में तेजी से सुधार हो रहा है. इस मामले में भी जैसे ही टंकीत भर्ती हुआ तुरंत ही उसे मेजर ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर एन्सथीसिया विभाग के डॉक्टरों और शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों की तरफ से इमरजेंसी ऑपरेटिव प्रोसिजर किया गया. बच्चे को शिशु रोग विभाग के NICU में रखा गया. उसे वेंटिलेटर में रखकर गहन इलाज किया गया, जिसके बाद अब मासूम की जान खतरे से बाहर है.इस दौरान यहां शिशु रोग चिकित्सक डॉ. डीआर मंडावी, डॉ. पुष्पराज प्रधान, डॉ. पालाराम मीणा, डॉ. प्रियंका, डॉ. दिवाकर, डॉ. बबीता और डॉ. अनुरूप साहू की टीम और स्टाफ नर्सों के बेहतर इलाज से संभव हो पाया.
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