(Source: Matrize)
Uniform Civil Code: PM मोदी ने सबके सामने की UCC की पैरवी , तो छत्तीसगढ़ में क्यों खुलकर बोलने से हिचक रही BJP?
Chhattisgarh: CM भूपेश बघेल ने आदिवासी परंपराओं का जिक्र किया और धुव्रीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि, हिंदू-मुसलमान के हिसाब से क्यों सोचते हैं? छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की परंपरा का क्या होगा?
Chhattisgarh News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देश के लिए समान नागरिक संहिता संविधान के अनुरुप बताते हुए जरुरी बताया था, लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी खुलकर बात करने से हिचक रही है. वहीं कांग्रेस इसे सीधे तौर पर बीजेपी पर हिंदू-मुस्लिम को विभाजित करने की पहल का हिस्सा बता रही है. प्रधानमंत्री बीते महीने जब भोपाल आए तो उन्होंने सभी के लिए समान कानून संहिता की पैरवी की और इसे संविधान सम्मत भी बताया. इसके बाद तमाम राजनीतिक दलों की देशव्यापी प्रतिक्रियाएं आई. बीजेपी की ओर से भी नेताओं के बयान आए, लेकिन छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेता इस मामले में ज्यादा मुखर नहीं है. पार्टी के नेताओं का यही कहना है कि पहले ड्राफ्ट तो सामने आने दें.
राज्य के उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने समान नागरिक संहिता को लेकर कहा कि, इस तरह का कानून लाना है तो सबको साथ लेकर चलना होगा, क्योंकि अलग-अलग वर्गों और समाजों की अपनी अपनी परंपराएं है. मुस्लिम समाज के ध्रुवीकरण करने का एक और व्यापक प्रयास किया जा रहा है और वोट का बंटवारा कर दो. हमारा समाज अभी भी उस मानसिक स्थिति तक नहीं पहुंचा है, जिसमें देश के सभी नागरिक अपनी पारंपरिक प्रथाओं को छोड़ दें और कानून और खुद को एक कानून में बांध लें. अभी मेरी राय में देश और देश के नागरिक समग्र रूप से समान नागरिक संहिता के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं.
भूपेश बघेल बीजेपी पर साधा निशाना
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी परंपराओं का जिक्र किया और धुव्रीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि, हिंदू-मुसलमान के हिसाब से क्यों सोचते हैं? छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की परंपरा का क्या होगा? छत्तीसगढ़ में रुढ़ी आदिवासी हैं उनका अपनी परंपरा के नियम हैं, बहुत सारी जातियों की अपनी परंपरा है. अगर कॉमन सिविल कोड कर देंगे तो हमारे आदिवासियों की रुढी परंपरा का क्या होगा. यह केवल एक चीज नहीं है, जिसके बारे में हम चर्चा करें. गांव में बहुत सारी जातियां है और उनकी अपनी परंपराएं है, उसके आधार पर वे चलते हैं, संविधान में भी कहीं न कहीं मान्यता मिलती है. हमको सभी की भावनाओं को देखना होगा.
बीजेपी ने किया पलटवार
राज्य में कांग्रेस पूरी तरह यूसीसी का खुले तौर पर विरोध कर रही है. वहीं बीजेपी एक ही सवाल कर रही है कि इस कानून का अभी ड्राफ्ट नहीं आया है और कांग्रेस अपनी राय जाहिर कर रही है. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा है कि, कांग्रेस का इतिहास रहा है कि उसने भ्रम फैलाने और झूठ की राजनीति की है. जितने भी कानून आए उसका पहले ही विरोध शुरु कर देते हैं. वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के पास मुददे नहीं है इसीलिए काल्पनिक तरीके अपनाते हैं. हर बार कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी है. यही कारण है कि वे सत्ता से बाहर हैं, राफेल मामले में क्या हुआ यह सबके सामने है.
यूसीसी से राज्य में ध्रुवीकरण की संभावना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में आदिवासी वर्ग बड़ी तादाद में है और उनकी अपनी परंपराएं है जिसे एक कानून की परिधि में लाना आसान नहीं होगा और अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को विधानसभा व लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है. लिहाजा बीजेपी इस मुददे पर बहुत ज्यादा बोलने को तैयार नहीं है. सियासी रणनीति के तौर पर यह ठीक भी है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ प्रवास और इस खास तबज्जो न दिए जाने से समझा जा सकता है. इतना ही नहीं यूसीसी से राज्य में ध्रुवीकरण की संभावना भी कम है क्योंकि राज्य में मुस्लिम मतदाता बहुत ज्यादा नहीं हैं.