Chhattisgarh: 'मन की बात' में पीएम मोदी ने की 'हमर हाथी हमर गोठ' कार्यक्रम की तारीफ, जानें क्या है ये पहल?
Hamar Hathi Hamar Goth: पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में 'हमर हाथी हमर गोठ' की तारीफ की. हाथियों से होने वाली जनधन की हानि को रोकने में इससे बड़े स्तर पर कामयाबी मिली है.
Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा के पूर्व मुख्य वन संरक्षक और भारत सरकार के वन्य प्राणी एवं पर्यावरण समिति के सदस्य केके बिसेन हाथियों के आतंक से बचाने के लिए एक नई पहल की शुरूआत की थी. जिसके तहत साल 2017 में छत्तीसगढ़ में हाथियों के आतंक रोकने और ग्रामीणों को सचेत करने के लिए आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से हमर हाथी-हमर गोठ कार्यक्रम कार्यक्रम का प्रसारण किया गया. इसका जिक्र बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में रेडियो कितना सशक्त माध्यम हो सकता है, इसका अनूठा प्रयोग छत्तीसगढ़ में हाथियों की सूचनाओं के लिए किया जा रहा है. काम से वापस लौटते समय शाम को हाथियों की उपस्थिति का सही लोकेशन मिलने से लोग रास्ता बदलकर सुरक्षित रास्ते से वापस घर आ रहे हैं. बीते 7 सालों से प्रसारित किए जा रहे कार्यक्रम हमर हाथी-हमर गोठ के परिणाम स्वरूप लोगों की आदतों में बदलाव आया है.
जिससे लोगों के जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने मदद मिली है. कार्यक्रम हमर हाथी हमर गोठ को हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोग आपस में सोशल मीडिया पर भी शेयर करते हैं, जिससे हाथियों का सही लोकेशन प्रतिदिन दूरदराज के लोगों को प्रतिदिन मिल जाता है, इससे हाथियों को भी सुरक्षित रास्ता मिला है.
पीएम मोदी ने ये पहल अपनाने की दी सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की यह पहल देश के अन्य हाथी प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनाई जा सकती है. छत्तीसगढ़ राज्य कि यह अनूठी पहल एक मिसाल है. कार्यक्रम अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ केंद्रो से शाम पांच बजे प्रसारित किया जाता है. यह कार्यक्रम गाड़ियों में भी आसानी से सुना जा सकता है.
प्रसारण से कम हुई छत्तीसगढ़ में जनहानि
हमर हाथी-हमर गोठ के माध्यम से जंगली हाथियों के विचरण की सूचना देने की अनूठी पहल करने वाले सरगुजा के पूर्व मुख्य वन संरक्षक केके बिसेन ने कहा, "सरगुजा में पहले हमने हाथियों के व्यवहार और उनके विचरण गतिविधियों के लिए कई प्रयोग किए, जिसमें आकाशवाणी के माध्यम से यह पहल सर्वाधिक कारगर साबित हुई." उन्होंने बताया कि हाथियों के विचरण की सूचना मिलने पर ग्रामीण पहले से ही सतर्क हो जाते थे और इससे जनहानि रोकने में भी कामयाबी मिली.
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