छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को रविवार को झटका लगा जब इसके वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. साय ने बीजेपी से इस्तीफा देकर पार्टी के साथ अपना चार दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया.
दो बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक साय (77) पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.
कौन हैं नंद कुमार साय?
बीजेपी के एक प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे. वह 1980 में बीजेपी की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए. वह 1985 में तपकरा से बीजेपी विधायक चुने गए.
वह 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए. साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश बीजेपी प्रमुख रहे.
नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने. साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने.
बीजेपी में असमंजस
उधर, प्रदेश बीजेपी प्रमुख अरुण साव ने घटनाक्रम की पुष्टि की और कहा कि पार्टी फिलहाल साय से संपर्क करने में असमर्थ है, लेकिन वह उनकी किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए सभी प्रयास करेगी.
कांग्रेस ने दी ये प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की संचार शाखा के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा था कि साय जैसे ‘ज्ञानी, विनम्र और सहिष्णु नेता' का पार्टी छोड़ना इस बात का संकेत है कि बीजेपी आदिवासी नेताओं को अपमानित और उपेक्षित कर रही है.'
शुक्ला ने कहा, ‘यदि उन्होंने पार्टी छोड़ी है तो इसका मतलब है कि बीजेपी इस बहुत बड़े वर्ग (आदिवासी) की उपेक्षा कर रही है, जिसे साय बर्दाश्त नहीं कर सके.’