रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर राजनीति घमसान जारी है.कांग्रेस ने राजभवन के खिलाफ महा रैली का एलान किया है.कांग्रेस ने मंगलवार को एक लाख से अधिक लोगों की भीड़ राजधानी रायपुर में जुटाने का दावा किया है.इससे पहले कांग्रेस ने पोस्टर वॉर शुरू कर दिया है.जिले के प्रमुख चौक चौराहों पर कांग्रेस ने बीजेपी कार्यलय को राजभवन का अस्थायी कार्यालय बताया है.इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी नोंकझोंक शुरू हो गई है.


महारैली के पहले रायपुर में पोस्टर वॉर


दरअसल बीजेपी कार्यालय के आसपास कांग्रेस ने दिलचस्प पोस्टर लगाया है.कांग्रेस के पोस्टर में लिखा गया है कि राजभवन संचालन केंद्र इधर है, राजभवन का संचालन अस्थायी रूप से कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में ट्रांसफर हो गया है.ऐसे कई पोस्टर बीजेपी कार्यालय के आसपास लगाए गए हैं.  आपको बता दें कि पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र में 76 फीसदी आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया गया है.इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया है. लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी इसपर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है.इसलिए कांग्रेस बीपीजे पर राजभवन में दबाव डालने का आरोप लगा रही है.


1 लाख से अधिक भीड़ जुटाने का दावा


मंगलवार को छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मामले में कांग्रेस का सबसे बड़ा प्रदर्शन है.इसके लिए कांग्रेस ने सर्व समाज को धरने में शामिल होने के लिए बुलाया है.कांग्रेस ने दावा किया है कि कल एक लाख से अधिक लोग रायपुर में जुटेंगे.कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी से जुड़े बड़े नेता कई बार सार्वजनिक मंचों से आरक्षण को खत्म करने की बात कह चुके हैं.रमन सिंह की सरकार के दौरान भी आरक्षण खत्म करने षड्यंत्र दिखाॉ. उस समय 32 फीसदी आरक्षण आदिवासी वर्ग को दिया गया. तब इस एससी वर्ग को मिलने वाले 16 फीसदी आरक्षण में कटौती कर 12 फीसदी कर दिया वर्गभेद करवाया गया. इस तरह दो वर्गों के बीच में लड़ाई करवाई गई. 


बीजेपी ने कहा मुख्यमंत्री का प्रपंच


बीजेपी ने शहर में लगाए गए पोस्टर को निम्न स्तर की राजनीति करने का रिकॉर्ड बताया है.बीजेपी प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज,अनुसूचित जाति समाज भी सरकार प्रायोजित कांग्रेस की तथाकथित महारैली को समर्थन नहीं कर रहा है.ऐसा क्यों? इसलिए कि सभी अच्छी तरह समझ रहे हैं कि आरक्षण विरोधी कांग्रेस सभी वर्गों के साथ धोखेबाजी कर रही है.कांग्रेस मुख्यमंत्री के इशारे पर स्तरहीन प्रपंच करते हुए जगह जगह पोस्टर लगा रही है.


76 प्रतिशत आरक्षण पर विवाद जारी है


गौरतलब है 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 फीसदी आरक्षण को निरस्त कर दिया था.इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे तब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दो दिसंबर को राज्य में एसटी, ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया.इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 फीसदी हो गया.लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी.इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.


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