Pradhan Mantri Awas Yojana in Chhattisgarh: केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के बीच राशि आंबटन को लेकर आपसी खींचतान के बीच पक्का मकान मिलने का सपना सजाए बैठे गरीबी तबके के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस योजना को लेकर आपसी विवाद जारी है. लेकिन इस आपसी विवाद का खामियाजा छत्तीसगढ़ के साथ-साथ बस्तर के ग्रामीणों को भी भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, बस्तर में भी इस योजना के तहत बनने वाले सैकड़ों मकान अधूरे पड़े हैं और इन मकानों के लिए राशि आबंटन भी नहीं की जा रही है. लिहाजा कई लोग बरसात और इस कड़कड़ाती ठंड के मौसम में खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं. किस्त की राशि मिलने की राह तकते इन लोगों की समस्याओं को प्रशासन ने भी अनदेखा कर दिया है. लिहाजा इस योजना के तहत मिलने वाली पक्के मकान की उम्मीद ही इन लोगों ने छोड़ दी है.
जगदलपुर शहर के संतोषी वार्ड में इस योजना का सबसे बुरा हाल है. दरअसल, साल 2019-20 में इस इलाके में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ मिलने की बात कही गई, जिसके बाद सभी के कच्चे और झोपड़ीनुमा मकानों को तुड़वाया गया और निर्माण कार्य भी शुरू की गई. इस योजना के तहत केवल एक ही किस्त की राशि हितग्राहियों को मिली वह भी केवल 55 हजार रुपये. इस राशि से केवल मकान का ढांचा ही खड़ा हो पाया ,वह भी हितग्राहियों ने अपने खुद के पैसों से जैसे तैसे इस ढांचे को खड़ा किया लॉकडाउन की वजह से रोजगार नहीं मिलने के चलते दिहाड़ी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और कर्ज लेकर उन्होंने पक्के मकान की उम्मीद लगाए घर का ढांचा खड़ा कर दिया. लेकिन अब इस योजना के तहत मिलने वाली और दो किस्तों की राशि रोक दी गई है. राशि के आबंटन नहीं किए जाने से इस इलाके के लगभग 30 से अधिक मकान अधूरे पड़े हैं. ऐसे में वे झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं, आर्थिक तंगी के वजह से किराए के घरों में रहने के अभाव में खुले आसमान में सोने को मजबूर हैं. छोटे-छोटे बच्चों के साथ कोई टपरी में जीवन यापन कर रहा है तो कोई छोटे से झोपड़ी में रहकर आस लगाए बैठा है कि कब उनका मकान पूरी तरह से बन पाएगा.
हितग्राहियों ने दी ये जानकारी
इस वार्ड के हितग्राहियों ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों से इस आवास योजना के तहत मकान बनने का कार्य जारी है, लेकिन अब तक मकान 40% तक भी नहीं बन पाया है, क़िस्त की राशि के लिए बोलने पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी, जनप्रतिनिधि उनकी कोई सुध नहीं लेता. अब आलम यह है कि जहां यह टपरी बनाकर रह रहे हैं उसे भी खाली करने का फरमान निगम प्रशासन ने जारी कर दिया है. वही किस्त की राशि आबंटन को लेकर हितग्राहियों को कोई भी जवाब नहीं दिया गया है. लिहाजा सभी लोग सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब उनकी राशि आबंटन होगी और कब उनका मकान पूरा हो सकेगा. जगदलपुर शहर के साथ-साथ समूचे बस्तर जिले में यह समस्या बनी हुई है, ग्रामीण क्षेत्रों में भी आधे अधूरे मकान की वजह से कई लोग सड़क पर रहने को मजबूर हैं , पहले से ही कर्जे में डूबे इन लोगों को उम्मीद थी कि राशि आवंटन के साथ ही जल्द से जल्द उनका मकान बन पाएगा लेकिन शासन की ओर से अब तक केवल एक ही किस्त उन्हें मिल पाई है और अन्य दो किस्तों के लिए कोई आश्वासन भी अब तक इन्हें नहीं मिल पाया है. हालांकि निगम के आयुक्त प्रेम कुमार पटेल का कहना है कि इन आधे अधूरे मकानों को पूरा करने के लिए निगम प्रशासन भी प्रयासरत है. हालांकि अब तक इन मकानों को पूरा करने के लिए राशि आबंटन नहीं की गई है जिसके चलते लोगों को अपने पक्के मकान के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि कब तक यह किस्त की राशि आबंटन हो पाएगी इसको लेकर आयुक्त के पास भी कोई जवाब नहीं है.
पीएम मोदी ने किया था पक्का माकन देने का वादा
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के इस योजना के तहत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले सभी लोगों को पक्का मकान देने का वायदा किया था, लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर में यह वादा साल 2022 तक पूरा होता दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है . वही केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस योजना को लेकर आपसी खींचतान के चलते बची हुई राशि आवंटन को लेकर भी अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. लिहाजा सरकार की यह महत्वकांशी योजना बस्तर में दम तोड़ती नजर आ रही है.
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